प्रयोग:राधिका सोनी: Difference between revisions
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<quiz display=simple> | |||
{गुप्त्कालीन ग्रंथों प्रयुक्त ‘काप्ति’शब्द से ध्वनित होता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न975) | |||
|type="()"} | |||
+ प्रचलित दर से अधिक ब्याजदर | |||
- प्रचलित दर से कम ब्याजदर | |||
- बढई का कार्य करने वाला मजदूर | |||
- जंगल में विचरन करने वाले शिकारी | |||
{निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा कथन पूर्ण गुप्त कालीन व्यापार एंव वाणिज्य पर लागू होता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न976) | |||
|type="()"} | |||
- भारतीय वस्तुएँ आक्सर नदी एवं कैस्पियन सागर होकर पूर्वी यूरोप पहुँचती थी। | |||
- उत्तर-पूर्व एंव पश्चिम से आने वाले व्यापारिक मार्ग पोष्कलावतीमेन मिलते थे। | |||
- भारतीय व्यापार के लिए बैक्ट्रिया निकास द्वार का काम करता था। | |||
+ उपर्युक्त सभी सत्य है। | |||
{निम्नलिखित मे से किसकी रचना वराहामिहिर ने नही की थी-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न977) | |||
|type="()"} | |||
- पंचसिद्धान्तिका | |||
- वृहत्संहिता | |||
- योगयात्रा मुजरिस बन्दरगाह | |||
+ सिद्धांत शिरोमणि | |||
{निम्नलिखित कथनों में से असत्य कथन इंगित कीजिए- (यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न978) | |||
|type="()"} | |||
- सिंन्धु नदी के मुहाने पर बारवोरिक एंव इसके दक्षिण में पत्तल का बन्दरगाह था। | |||
- वैजंयती की पहचान बिजाड्रोंग से की गयी है। | |||
- टिण्डिस एंव मुजहरिस बन्दर मलयालम भाषी प्रदेश के अंतर्गत थे। | |||
+तामलुक नामक बन्दरगाह की पहचान ताम्रपर्णी से की गयी है। | |||
{निम्न्लिखित बन्दरगाहों में से कौन अत्यन्त महत्वपूर्ण रोमन व्यापार से जुड़े हुए है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न979) | |||
|type="()"} | |||
- अरिकमेडु | |||
- मुजरिस | |||
- कावेरीपत्तनम | |||
+ ये तीनों ही | |||
{महरौली के लौह स्तंभ के बारे में निम्नलिखित में से क्या सत्ये है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न981) | |||
|type="()"} | |||
- यह 28 फुट लम्बा, 16.4 इंच व्यास वाला एंव 6 टन वजन का है। | |||
- यह गुप्तकालीन शिस्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। | |||
- इसकी प्रमुख विशेषता अभी तक इसका संक्षारण न होना है। | |||
+ उपर्युक्त तीनों कथन सत्य है। | |||
{निम्न्लिखित में से किस गुप्त सम्राट तक सोने की शुद्धता उनके सिक्को में पूर्ववत् रही-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न982) | |||
|type="()"} | |||
- समुद्रगुप्त | |||
- चंद्रगुप्त-II | |||
+ स्कन्दगुप्त | |||
- बुधगुप्त | |||
{गुप्तकालीन ग्रंथो में ‘भ्रष्ट्रामिंध’ शब्द प्रयुक्त हुआ है, | |||
जिसका आशय है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न983) | |||
|type="()"} | |||
+ खाना पकाने वाला | |||
- लोहे का काम करने वाला | |||
- अनाज बेचने वाला | |||
- भ्रष्ट धर्म वाला | |||
{गुप्तकालीन ग्रंथो में प्रयुक्त हिन्न सिप से ध्वनित होता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न984) | |||
|type="()"} | |||
- शिकारी | |||
- मजदूर | |||
+ निम्न पेशे वाले | |||
- मछुआरे | |||
{गुप्तकाल के बारे में निम्नलिखित में से क्या सत्य कहा जा सकता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न985) | |||
|type="()"} | |||
- गुप्त के सोने के सर्वाधिक सिक्के जारी किए। | |||
-गुप्तकाल में वस्तु विनिमय का माध्यम कौड़ी था। | |||
- स्वर्ग एंव रजत सिक्के व्यापार एंव भूमि लेन-देल मे प्रयुक्त होते थे। | |||
+उपर्युक्त तीनों सत्य है। | |||
{श्रेणियों के बारे में निम्नलिखित में से क्या सत्य है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न986) | |||
|type="()"} | |||
-श्रेणियों के अपने चिन्ह, पाताकायें एंव ध्वज थे। | |||
- राजनीति में उनका हस्तक्षेप बहुत कम था। | |||
-श्रेणियों ने धर्मिक गतिविधियों में बढ़-चढकर हिस्सा लिया। | |||
+ उपर्युक्त तीनों सत्य है। | |||
{निम्नलिखित में से किस शासक ने वीणा-वादन प्रकार की मुद्राएँ चलाईं-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न987) | |||
|type="()"} | |||
- चंद्रगुप्त | |||
+ समुंद्रगुप्त | |||
- स्कंदगुप्त | |||
- रामगुप्त | |||
{निम्नलिखित में से किस राज्य को रोम के साथ व्यापार का सर्वाधिक लाभ हुआ-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न988) | |||
|type="()"} | |||
+ सातवाहन | |||
- चोला | |||
- पाण्डय | |||
- कुषाण | |||
{रेशम मार्ग की कुल तीन शाखाएँ थीं, निम्नलिखित में से कौन सत्य नही है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न989) | |||
|type="()"} | |||
- मर्व से फरात नदी से होकर रुम सागर तक का मार्ग। | |||
- भारत से लाल सागर तक जाने वाला मार्ग्। | |||
-वैक्ट्रिय, कैस्पियन सागर से होकर जाने वाला मार्ग। | |||
+ शूपरिक से बारबेरिकम होकर जाने वाला मार्ग। | |||
{निम्नलिखित में से किसका साम्राज्य अंतर्राष्टीय था-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न990) | |||
|type="()"} | |||
+ कुषाण | |||
- अशोक | |||
- शक | |||
- इण्डोशिक | |||
{निम्नलिखित में से किनके द्वारा श्रेणियाँ अपने सदस्यों पर नियंत्रण रखती थी-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न991) | |||
|type="()"} | |||
- शक्ति द्वारा | |||
+ श्रेणीन्यालय द्वारा | |||
- परिषद् द्वारा | |||
- महाश्रेष्ढी द्वारा | |||
{गुप्तोतर काल के बारे में क्या असत्य है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1000) | |||
|type="()"} | |||
- इस काल मे गाँव भी अपनी मुद्रा जारी करने लगे। | |||
- ग्रामीण समुदाओ के भूमि संबंधि अधिकारीयों का ह्रास हुआ। | |||
-एक नये भुमिधर वर्ग का उदय हुआ एंव व्यापार का पतन हुआ। | |||
+ राष्ट्र्कूटों ने सेनिकों को भूमि अनुदान नहीं दिया। | |||
{किस इतिहास ने गुत्तोतरकालीन सामाजिक आर्थिक संगढन एंव संरचना के लिये सामंतवाद शब्द का प्रयोग किया-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1001) | |||
|type="()"} | |||
- ए. एस. अल्तेकर | |||
+ आर. एस. शर्मा | |||
- के.पी. जायसवाल | |||
- इनमे से कोई नही | |||
{गुप्त काल के 18 करो में वह प्रमुख कर कौन-सा था जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1002) | |||
|type="()"} | |||
- भोग | |||
- भूतवातप्रत्याय | |||
+ उद्रंग | |||
- प्रणय | |||
{गुपप्तोत्तरकालीन ग्रंथो में प्रयुक्त “ आभ्यान्तर सिद्ध” से ध्वनित होता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1004) | |||
|type="()"} | |||
+ फौजदारी एंव दीवनी मामले | |||
- समंतो को कार्य प्रणाली | |||
- दो सामंतो के मध्य विवाद | |||
- इनमे से कोई नहीं | |||
{निम्नलिखित ग्रंथो में से किसके गुप्तोत्तरकालिन भू-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश नही पड़्त-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1005) | |||
|type="()"} | |||
- हर्षचरित | |||
- अपराजितपृच्छा | |||
- राजतरंगिणी | |||
+ काव्यादर्श | |||
{गुप्त्कालीन भू-माप के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1006) | |||
|type="()"} | |||
- गुप्त्काल मे भूमि ‘हस्ते’ से नापी जाती थी। | |||
- हस्त से बड़ी इकाई धनु थी। | |||
- भूमी माप हेतु सरकंडों का उपयोग किया जाता था। | |||
+ उपयुक्त तीनों सत्य हैं | |||
{गुप्तोत्तरकालीन करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1007) | |||
|type="()”} | |||
- परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रुप मे लिखा जाता था। | |||
- राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था। | |||
-अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था। | |||
+ हलिराकर हलवाइयों पर लगने वाला कर था। | |||
{गुप्त काल में प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रमागत स्तर निम्न में से कौन व्यक्त करता है-(यू.जी.सी. इतिहास पृष्ठ. 232प्रश्न1008) | |||
|type="()"} | |||
+ भुक्ति, विषय, पेठ, ग्राम। | |||
- विषय, भुक्ति, पेठ, ग्राम। | |||
- पेठ,विषय, भुक्ति, ग्राम। | |||
- भुक्ति,पेठ,विषय, ग्राम। | |||
</quiz> | |||
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Revision as of 12:45, 31 August 2016
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