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         '''[[अबुलकलाम आज़ाद|मौलाना अबुलकलाम आज़ाद]]''' एक मुस्लिम विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी एवं वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। स्वतंत्र भारत में वह [[भारत सरकार]] के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्हें 'मौलाना आज़ाद' के नाम से जाना जाता है। [[संगीत नाटक अकादमी]] (1953), [[साहित्य अकादमी]] (1954) और [[ललित कला अकादमी]] (1954) की स्थापना में अहम भूमिका थी। वर्ष 1992 में मरणोपरान्त इन्हें [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया। एक इंसान के रूप में मौलाना महान थे, उन्होंने हमेशा सादगी का जीवन पसंद किया। उनमें कठिनाइयों से जूझने के लिए अपार साहस और एक संत जैसी मानवता थी। उनकी मृत्यु के समय उनके पास कोई संपत्ति नहीं थी और न ही कोई बैंक खाता था। वह अपने वरिष्ठ साथी '[[ख़ान अब्दुलगफ़्फ़ार ख़ाँ]]' और अपने कनिष्ठ '[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]' के साथ रहे। [[अबुलकलाम आज़ाद|... और पढ़ें]]
         '''[[आर. के. लक्ष्मण]]''' को [[भारत]] के एक प्रमुख व्यंग-चित्रकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। अपने कार्टूनों के ज़रिए आर. के. लक्ष्मण ने एक आम आदमी को एक व्यापक स्थान दिया और उसके जीवन की मायूसी, अँधेरे, उजाले, ख़ुशी और ग़म को शब्दों और रेखाओं की मदद से समाज के सामने रखा। लक्ष्मण के बड़े भाई [[आर. के. नारायण]] एक कथाकार तथा उपन्यासकार थे, जिनकी रचनाएँ 'गाइड' तथा 'मालगुडी डेज़' ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था। एक कार्टूनिस्ट के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही लक्ष्मण ने महत्त्वपूर्ण लेखन भी किया। उनकी आत्मकथा 'टनल टु टाइम' उनकी लेखन क्षमता का प्रमाण सामने लाती है। आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में एक आम आदमी को प्रस्तुत करती एक छवि जितनी सादगी भरी है, उतनी ही पैनी भी होती है। आर. के. लक्ष्मण को उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए [[पद्म भूषण]], [[पद्म विभूषण]], [[रेमन मेग्सेसे पुरस्कार]] आदि सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। [[आर. के. लक्ष्मण|... और पढ़ें]]
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| [[एक व्यक्तित्व|पिछले लेख]] →
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| [[सी. डी. देशमुख]]  
| [[सी. डी. देशमुख]]  
| [[खाशाबा जाधव]]
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Revision as of 14:21, 21 March 2017

एक व्यक्तित्व

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        आर. के. लक्ष्मण को भारत के एक प्रमुख व्यंग-चित्रकार के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है। अपने कार्टूनों के ज़रिए आर. के. लक्ष्मण ने एक आम आदमी को एक व्यापक स्थान दिया और उसके जीवन की मायूसी, अँधेरे, उजाले, ख़ुशी और ग़म को शब्दों और रेखाओं की मदद से समाज के सामने रखा। लक्ष्मण के बड़े भाई आर. के. नारायण एक कथाकार तथा उपन्यासकार थे, जिनकी रचनाएँ 'गाइड' तथा 'मालगुडी डेज़' ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को छुआ था। एक कार्टूनिस्ट के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने के साथ ही लक्ष्मण ने महत्त्वपूर्ण लेखन भी किया। उनकी आत्मकथा 'टनल टु टाइम' उनकी लेखन क्षमता का प्रमाण सामने लाती है। आर. के. लक्ष्मण के कार्टूनों में एक आम आदमी को प्रस्तुत करती एक छवि जितनी सादगी भरी है, उतनी ही पैनी भी होती है। आर. के. लक्ष्मण को उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म भूषण, पद्म विभूषण, रेमन मेग्सेसे पुरस्कार आदि सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। ... और पढ़ें

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