कोष्ठागारध्यक्ष: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
रिंकू बघेल (talk | contribs) No edit summary |
रिंकू बघेल (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
# [[सीता कर]] | # [[सीता कर]] | ||
# [[राष्ट्र कर]] | # [[राष्ट्र कर]] | ||
# [[ | # [[क्रयिक कर]] | ||
# [[परिवर्त्तक कर]] | # [[परिवर्त्तक कर]] | ||
# [[प्रामित्यक कर]] | # [[प्रामित्यक कर]] |
Revision as of 12:42, 2 July 2017
कोठार के अध्यक्ष को कोष्ठागारध्यक्ष कहते हैं। कौटिल्य के अनुसार कोष्ठागारध्यक्ष को चाहिए कि वह निम्न दस बातों के सम्बंध में अच्छी जानकारी प्राप्त करे।
- सीता कर
- राष्ट्र कर
- क्रयिक कर
- परिवर्त्तक कर
- प्रामित्यक कर
- आपमित्यक
- सिंहनिका कर
- अन्वजात कर
- व्ययप्रत्यात कर
- उपस्थान कर
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
कौटिलीय अर्थशास्त्रम् |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 157 |