प्रयोग:कविता बघेल 7: Difference between revisions

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'''असित सेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: Asit Sen, जन्म: [[13 मई]], [[1917]] [[गोरखपुर]], [[उत्तर प्रदेश]]; मृत्यु: [[18 सितम्बर]], [[1953]]) हिंदी फ़िल्मों के हास्य कलाकार थे। उन्होंने चार दशक तक बॉलीवुड पर चरित्र अभिनेता के रूप में अपनी खास पहचान कायम की और अपनी अदाओं से उन्होंने दर्शकों को लोट-पोट होने के लिए मजबूर किया। उन्होंने 200 से अधिक बॉलीवुड फ़िल्मों में हास्य और चरित्र अभिनेता का किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाई।<ref>{{cite web |url=http://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/gorakhpur/comedy-king-asit-sen-birthday-special-from-gorakhpur-884247.html |title=असित सेन |accessmonthday=7 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.news18.com |language=हिंदी }}</ref>
'''असद भोपाली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Asad Bhopali'', जन्म: [[10 जुलाई]], [[1921]], [[भोपाल]]; मृत्यु: [[9 जून]], [[1990]]), बॉलीवुड के एक गीतकार थे। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया।
==परिचय==
==परिचय==
असित सेन का जन्म 13 मई, 1917 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में हुआ था। उन्हें फोटोग्राफी का बहुत शौक था, इसलिए उन्होंने गोरखपुर में सेन फोटो स्टूडियो खोला। असित सेन की पत्नी का नाम मुकुल सेन था, जो कोलकाता की रहने वाली थीं। यहीं पर उनकी तबियत खराब हुई। वह पत्नी को इलाज के लिए बॉम्बे लेकर गए, लेकिन कुछ ही माह के बाद उनकी मौत हो गयी।
असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह खान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ  भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार था। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए मेरे पिताजी भी अरबी-फारसी के साथ साथ उर्दू में भी वो महारत हासिल कर पाए जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। उनके पास शब्दों का खज़ाना था। एक ही अर्थ के बेहिसाब शब्द हुआ करते थे उनके पास। इसलिए उनके जाननेवाले संगीतकार उन्हें गीत लिखने की मशीन कहा करते थे।
==कॅरियर==
;जेल यात्रा
असित सेन ने अपने अभिनय की शुरुआत दुर्गाबाड़ी में चलने वाले कई बांग्ला नाटकों में रोल भी किया। सन 1950 में वह कोलकाता अपने ससुराल गए थे। वहां पर उन्हें एक नाटक कंपनी में एक रोल मिल गया। वह प्ले जब हुआ तो फ़िल्म निर्देशक विमल रॉय भी दर्शक दीर्घा में बैठे थे। असित सेन के अभिनय ने उन्हें खासा प्रभावित किया और वह उन्हें लेकर मुंबई चले गए। उस दौर में ज्यादातर कलाकार बाहर के होने की वजह से स्क्रिप्ट पर काम करना आसान नहीं था। क्योंकि ज्यादातर स्क्रिप्ट बांग्ला भाषा में हुआ करती थी, इसलिये मुंबई जाने के बाद असित सेन ने बांग्ला भाषा में लिखी स्क्रिप्ट को हिंदी में अनुवाद करने का काम शुरू किया। उसके बाद उन्हें बांग्ला भाषा की कुछ फ़िल्मों में काम मिला। उसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की फ़िल्मों में किस्मत आजमाने की सोची। हालांकि शुरुआती दिनों में उन्हें ख़ास सफलता नहीं मिली और उन्होंने फ़िल्मों में छोटे-छोटे रोल करना शुरु कर दिए।
असद भोपाली को शायरी का शौक़ किशोरावस्था से ही था। उस दौर में जब कवियों और शायरों ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी कलम से योगदान किया था, उस दौर में उन्हें भी अपनी क्रान्तिकारी लेखनी के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी। आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें साहित्यकारों की भी भूमिका रही है। असद भोपाली ने एक बुद्धिजीवी के रूप में इस लड़ाई में अपना योगदान किया था। क्रान्तिकारी लेखनी के कारण अँग्रेजी सरकार ने उन्हें जेल में बन्द कर दिया था। ये और बात है कि अँग्रेज़ जेलर भी उनकी 'गालिबी' का प्रशंसक हो गये थे। जेल से छूटने के बाद असद मुशायरों में हिस्सा लेते रहे। 
==प्रमुख फ़िल्में==
==निधन==
लेकिन फ़िल्म "20 साल बाद" में असित सेन के अभिनय ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1964 में उनकी फ़िल्म 'परख' आई, जिसमें उन्होंने भांजू बाबू का किरदार निभाया। 1962 में आई फ़िल्म "20 साल बाद" में उन्होंने गोपीचंद जासूस के किरदार को जीवंत कर दिया। 1963 में बनी फ़िल्म 'चांद और सूरज', 1965 में 'भूत बंगला', 1967 में 'नौनिहाल', 1968 में 'ब्रह्मचारी', 1969 में 'यकीन और आराधना', 'प्यार का मौसम', 1970 में 'पूरब और पश्चिम', 'दुश्मन', 'मझली दीदी', 'बुड्ढा मिल गया' जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया। 1971 में 'मेरा गांव मेरा देश', 'आनंद', 'दूर का राही', 'अमर प्रेम' जैसी यादगार फ़िल्मों में अभिनय किया। 1972 में 'बॉन्बे टू गोवा', 'बालिका वधू', 1976 में 'बजरंग बली', 1977 में 'आनंद' आश्रम सहित 200 से अधिक फ़िल्मों में अपने हास्य अभिनय और चरित्र किरदार का लोहा मनवाया। उन्होंने बांग्ला फ़िल्म अमानुष और आनंद आश्रम सहित अनुसंधान में भी काम किया।
[[1990]] में असद को उनके द्वारा फ़िल्म मैंने प्यार किया के लिए लिखे गीत कबूतर जा जा जा के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, हालांकि, तब तक वह पक्षाघात होने से अपाहिज हो गये थे। 9 जून 1990 को उनका निधन हो गया।
लोकप्रिय गीत


हास्य कलाकार टुनटुन, जीतेंद्र, राजेश खन्ना, संजीव कुमार और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से उनका खासा दोस्ताना रहा। यह सभी उनके काफी करीब रहे। इनके साथ उन्होंने कई यादगार फ़िल्मों में काम भी किया।
==असद भोपाली द्वारा लिखे कुछ लोकप्रिय गीत==
==निधन==
*दिल दीवाना बिन सजना के माने ना - मैंने प्यार किया
असित सेन की सादगी ऐसी रही है कि उनसे मिलने वाले आज भी उनके कायल है। जरा सी बात छेड़ी तो हज़ारों कहानियां निकलकर सामने जाती है। हास्य अभिनेता के साथ एक सरल हृदय इंसान होना असित सेन की खासियत थी। यही वजह है कि [[18 सितंबर]], [[1993]] को 76 साल की उम्र में उनके निधन के बाद भी गोरखपुर को उन पर नाज है।
*कबूतर जा जा जा - मैने प्यार किया
* हम तुम से जुदा होक - एक सपेरा एक लुटेरा
* दिल का सूना साज़ - एक नारी दो रूप
* ऐ मेरे दिल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना - टॉवर हाउस
*दिल की बातें दिल ही जाने - रूप तेरा मस्ताना
* हसीन दिलरुबा करीब ज़रा - रूप तेरा मस्ताना
* अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो - हम सब उस्ताद हैं
* इना मीना डीका दाई डम नीका - आशा
*वो जब याद आये बहुत याद आये - पारसमणि
*हम कश्म-ए कशे गम से गुज़र क्यों नही जाते – फ्री लव
*प्यार बांटते चलो - हम सब उस्ताद हैं
* सुनो जाना सुनो जाना - हम सब उस्ताद हैं
* हंसता हुआ नूरानी चेहरा- पारसमणि
*मैने कह था आना संडे को – उस्तादों के उस्ताद
* पजामा तंग है कुर्ता ढीला - शिमला रोड
*आप की इनायतें आप के करम - वंदना

Revision as of 13:08, 12 July 2017

असद भोपाली (अंग्रेज़ी: Asad Bhopali, जन्म: 10 जुलाई, 1921, भोपाल; मृत्यु: 9 जून, 1990), बॉलीवुड के एक गीतकार थे। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया।

परिचय

असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह खान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार था। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए मेरे पिताजी भी अरबी-फारसी के साथ साथ उर्दू में भी वो महारत हासिल कर पाए जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। उनके पास शब्दों का खज़ाना था। एक ही अर्थ के बेहिसाब शब्द हुआ करते थे उनके पास। इसलिए उनके जाननेवाले संगीतकार उन्हें गीत लिखने की मशीन कहा करते थे।

जेल यात्रा

असद भोपाली को शायरी का शौक़ किशोरावस्था से ही था। उस दौर में जब कवियों और शायरों ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी कलम से योगदान किया था, उस दौर में उन्हें भी अपनी क्रान्तिकारी लेखनी के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी। आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें साहित्यकारों की भी भूमिका रही है। असद भोपाली ने एक बुद्धिजीवी के रूप में इस लड़ाई में अपना योगदान किया था। क्रान्तिकारी लेखनी के कारण अँग्रेजी सरकार ने उन्हें जेल में बन्द कर दिया था। ये और बात है कि अँग्रेज़ जेलर भी उनकी 'गालिबी' का प्रशंसक हो गये थे। जेल से छूटने के बाद असद मुशायरों में हिस्सा लेते रहे।

निधन

1990 में असद को उनके द्वारा फ़िल्म मैंने प्यार किया के लिए लिखे गीत कबूतर जा जा जा के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, हालांकि, तब तक वह पक्षाघात होने से अपाहिज हो गये थे। 9 जून 1990 को उनका निधन हो गया। लोकप्रिय गीत

असद भोपाली द्वारा लिखे कुछ लोकप्रिय गीत

  • दिल दीवाना बिन सजना के माने ना - मैंने प्यार किया
  • कबूतर जा जा जा - मैने प्यार किया
  • हम तुम से जुदा होक - एक सपेरा एक लुटेरा
  • दिल का सूना साज़ - एक नारी दो रूप
  • ऐ मेरे दिल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना - टॉवर हाउस
  • दिल की बातें दिल ही जाने - रूप तेरा मस्ताना
  • हसीन दिलरुबा करीब आ ज़रा - रूप तेरा मस्ताना
  • अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो - हम सब उस्ताद हैं
  • इना मीना डीका दाई डम नीका - आशा
  • वो जब याद आये बहुत याद आये - पारसमणि
  • हम कश्म-ए कशे गम से गुज़र क्यों नही जाते – फ्री लव
  • प्यार बांटते चलो - हम सब उस्ताद हैं
  • सुनो जाना सुनो जाना - हम सब उस्ताद हैं
  • हंसता हुआ नूरानी चेहरा- पारसमणि
  • मैने कह था आना संडे को – उस्तादों के उस्ताद
  • पजामा तंग है कुर्ता ढीला - शिमला रोड
  • आप की इनायतें आप के करम - वंदना