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121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506
121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506


टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो
टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो।
 
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार रेलवे फुट ब्रिज पर आंदोलनकारियों को सिपाहियों द्वारा रोका गया और उनकी जाँच की गई। लेकिन आंदोलनकारियों ने इन सिपाहियों पर पत्थर से हमला करना शुरू कर दिया और उन्हें 100 गज पीछे धकेल दिया। उसी समय मिस्टर कूनर एडिसनल डिस्ट्रिक्ट मजेस्ट्रेट आन्दोलनकारियों के समक्ष अपनी पुलिस की टुकड़ी लेकर प्रकट हुआ। उसने आन्दोलनकारियों को रोकने के आदेश दिए लेकिन असफल रहा। तभी उसने गोली चलाने के आदेश पारित किए। गोली चलने पर आन्दोलनकारी आगे बढ़्ने से रुक गए। इसके बाद डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मिस्टर प्लोमर अपनी पुलिस के दल-बल के साथ पहुचा। आन्दोलनकारियों  के दूसरे समूह ने रेलवे गुड्स रोड पर आक्रमण किया और स्टेशन सुपरिंटेंडेंट मि. बेनीट की हत्या कर दी। सारजेंट रालैंडस जो केंटोमेंट में इलैक्ट्रीसीयन था, उसकी बुरी तरह पिटाई की जो बाद में मर गया। उसके बाद आन्दोलनकारियों ने टेलीग्राफ ऑफिस पर आक्रमण कर दिया। आन्दोलनकारियों  का दूसरा समूह रेलवे रोड ब्रिज की ओर बढ़ रहा था तथा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर गोली चलाने का दबाव बढ़ता जा रहा थ।

Revision as of 12:55, 5 October 2017

डॉ. सत्यपाल


टी.पी इलिस के न्यायालय द्वारा सैंट्रल समरी कोर्ट में न्याय का पक्ष प्रस्तुत किया गया तथा उनके विरुद्ध 18 अपराध लगाकर उन्हें अपराधी घोषित किया गया। जो अपराध उन पर लगाए गए वे निम्नवत थे-

  1. 5 फरवरी 1919 को रौलेट बिल के विरुद्ध आक्रामक भाषण।
  2. आपके भाषण द्वारा 5 फरवरी 1919 को प्लेटफार्म टिकिट जनता में शासन के प्रति रोष उत्पन्न किया गया।
  3. आपके द्वारा 12 जनवरी 1919 को मि. वेनिट को पत्र लिखा गया जिसमें कहा गया कि शहर के अंदर जो-जो आंदोलन एवं असंतोष है उसके आप मुख्य गवाह हैं और इस तरह की गवाही आपने पहले कभी नहीं देखी, सुनी होगी।
  4. 11 फरवरी 1919 को जो दूसरी मीटिंग हुई उसमें आप स्वयं वक्ता थे जो अपने भाषण में सरकार के प्रति जहर उगल रहे थे।
  5. 17 फरवरी 1919 को ट्रेफिक मैंनेजर एन. डब्लु. रेलवे को धमकी भरा पत्र लिखा जिसमें आपने असंतोष एवं हड़ताल की बात कही। इस पत्र को 20 फरवरी 1919 को प्रकाशित किया गया।
  6. 22 फरवरी 1919 को मौहम्मडॅन एजुकेशन मीटिंग में शासन के प्रति अप्रिय भाषा का प्रयोग किया।
  7. ग्रेन सोप में 26 फरवरी 1919 को जो मीटिंग की उसमें विरोध की कोई बात नहीं कही गई लेकिन किचलू को शक्ति प्रदान करने का प्रयास किया गया।
  8. 28 फरवरी 1919 को रोलेट बिल के विरुद्ध भाषण किया जिससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी उतपन्न हुई।
  9. 28 मार्च 1919 को जो भाषण दिए वे बहुत ही गम्भीर थे। शासन को चेतावनी थी तथा 31 मार्च 1919 को शासन के समक्ष गम्भीर संकट उत्पन्न करने को कहा।
  10. 23 मार्च 1919 को म्युनिसिपल कमेटी की चेयरमैन के प्रति विरोध प्रकट किया।
  11. 29 मार्च 1919 को जो मीटिंग बुलाई गई वह आपके द्वारा प्रायोजित थी तथा आप ही उसके वक्ता थे। आपने अपने भाषण में जनता को शासन के विरुद्ध उकसारा।
  12. 30 मार्च 1919 को जो मीटिंग शासन के विरुद्ध बुलाई गई वह भी आप द्वारा प्रायोजित थी।
  13. 'प्रताप' अखबार में जो लेख आप द्वारा प्रस्तुत किया गया उसके आधार पर आपको राजद्रोह से सबंधित किया जाता है।
  14. अनेकों मीटिंग 31 मार्च 1919 से 10 अप्रॅल 1919 के बीच की जिनका उद्देश्य शासन के समक्ष कठिनाई उत्पन्न करना, यूरोपियन के बंगले में आग लगाना, यूरोपियन का कत्ल करना, ब्रिटिश सामान का परित्याग करना तथा झूठी अफवाह फैलाना आदि शामिल था। ये सभी मीटिंग सेफुद्दीन किचलू के घर पर की गई।
  15. एनी बैसेंट द्वारा समर्थित होम सूल के सम्बंध में सत्याग्रह करने हेतु सेफुद्दीन किचलू के घर मीटिंग में उपस्थित थे।
  16. 8 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के दौरान मीटिंग करने की घोषणा की।
  17. 9 अप्रॅल 1919 को रामनवमी के जलूस में एकत्रित हे, मिठाई बाँटी तथा गुरु बाज़ार मे जाकर आगे के कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया।
  18. 10 अप्रॅल 1919 को जब शहर से बाहर किए गए तब जनता को भड़काया तथा बदला लेने के लिए प्रेरित किया।

डॉ. सत्यपाल का निम्नलिखित धाराओं के अंतर्गत चालान किया गया। 121A-121, 121A, 336, 146,436, 326, 506, 426/120B 124A, 147 456, 302/100 506

टी. पी इलिस की अदालत ने केस की समरी बनाकर तैयार किया। समरी कोर्ट ने डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को 10 अप्रॅल 1919 को शासन के विरुद्ध युद्ध छेड़ाने के लिस ज़िम्मेदार ठहराता। अत: दोनों को 10 अप्रॅल 1919 को सुबह 10 बजे धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) भेज किया जिससे अमृतसर में अमन शांति रह सके। यह सूचना कि डॉ. सत्यपाल तथा डॉ. किचलू को अमृतसर से बाहर आज्ञात स्थान पर सरकार ने भेज दिया है आग की तरह पूरे शहर में फैल गयी। और थोड़े ही समय में लोगों का समूह इकट्ठा होकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की तरफ बढ़ने लगा। जनता की माँग थी कि दोनों नेताओं क रिहा करो।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार रेलवे फुट ब्रिज पर आंदोलनकारियों को सिपाहियों द्वारा रोका गया और उनकी जाँच की गई। लेकिन आंदोलनकारियों ने इन सिपाहियों पर पत्थर से हमला करना शुरू कर दिया और उन्हें 100 गज पीछे धकेल दिया। उसी समय मिस्टर कूनर एडिसनल डिस्ट्रिक्ट मजेस्ट्रेट आन्दोलनकारियों के समक्ष अपनी पुलिस की टुकड़ी लेकर प्रकट हुआ। उसने आन्दोलनकारियों को रोकने के आदेश दिए लेकिन असफल रहा। तभी उसने गोली चलाने के आदेश पारित किए। गोली चलने पर आन्दोलनकारी आगे बढ़्ने से रुक गए। इसके बाद डिप्टी सुपरिंटेंडेंट मिस्टर प्लोमर अपनी पुलिस के दल-बल के साथ पहुचा। आन्दोलनकारियों के दूसरे समूह ने रेलवे गुड्स रोड पर आक्रमण किया और स्टेशन सुपरिंटेंडेंट मि. बेनीट की हत्या कर दी। सारजेंट रालैंडस जो केंटोमेंट में इलैक्ट्रीसीयन था, उसकी बुरी तरह पिटाई की जो बाद में मर गया। उसके बाद आन्दोलनकारियों ने टेलीग्राफ ऑफिस पर आक्रमण कर दिया। आन्दोलनकारियों का दूसरा समूह रेलवे रोड ब्रिज की ओर बढ़ रहा था तथा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर गोली चलाने का दबाव बढ़ता जा रहा थ।