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{मार्क्सवादी समाजवाद के अनुसार समाजवादी राज्य में राज्य: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-42
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-पूरी तरह अनावश्यक (सुपरफ्लूअस) है
+आवश्यक है
-किसी भी वर्ग की विचारधारा का प्रतिनिधि नहीं करता
-समाप्त कर दिया जाता है
||मार्क्सवादी समाजवाद के अनुसार, समाजवादी राज्य अर्थात सर्वहारा वर्ग के अधिनायकत्व में राज्य बना रहेगा लेकिन राज्य की शक्ति का प्रयोग सर्वहारा वर्ग के द्वारा पूंजीवाद के अवशेषों को समाप्त करने के लिए किया जाएगा। [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] के अनुसार, 'समाजवादी राज्य' एक साधन है इसका अभीष्ट 'साध्य' 'साम्यवादी समाज' है। समाजवादी व्यवस्था में बचे हुए पूंजीपतियों को नष्ट करने के लिए मार्क्सवाद बुर्जुआ वर्ग के ही शस्त्र (राज्य) से इस वर्ग को खत्म करने की बात करता है।
 
{निम्न में कौन [[राज्य]] का अनिवार्य अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-13,प्रश्न-54
|type="()"}
-भूमि
+प्रजातंत्र
-जनसंख्या
-संप्रभुता
||गार्नर के अनुसार, राज्य के चार अनिवार्य अंग जनसंख्या, भूखंड, शासनतंत्र एवं संप्रभुता है। प्रजातंत्र राज्य का अनिवार्य अंग नहीं है। गार्नर के द्वारा दी गई राज्य की परिभाषा में राज्य के उपर्युक्त तत्त्वों का विश्लेषण सबसे अधिक विशद् एवं स्पष्ट है।
 
{"इतिहास कुलीन वर्गों का श्मशान है।" यह कथन किस  राजनीतिक विचारक से संबंधित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-62
|type="()"}
-गीटानों मोस्का
-कार्ल पापर
-जे.ए. शूम्पीटर
+विल्फ्रेडो पैरेटो
||पैरेटो 'अभिजन वर्ग' सिद्धांत का प्रवक्ता है। इसके अनुसार, अभिजनों में संरचण होता है। कोई भी राजनीतिक अभिजन स्थायी नहीं होता है। प्रत्येक समाज में व्यक्ति और अभिजन वर्ग जनवरत रूप से ऊंचे स्तर से नीचे स्तर की ओर, और नीचे स्तर से ऊंचे स्तर की ओर जाते रहते हैं। पतनकारक तत्त्वों की संख्या बढ़ती रहती है और दूसरी ओर शासित वर्गों में ऊंचे गुणों से संपन्न तत्त्व उभरते रहते हैं। पैरेटो का कहना हैं कि इस प्रक्रिया के माध्यम से अमाज का प्रत्येक अभिजन वर्ग अंतत: नष्ट हो जाता है और उसके स्थान पर दूसरे लोग आ जाते हैं। इसके पैरेटो ने इतिहास को 'कुलीन वर्गों का शमशान' कहा है।
 
{"आनुपातिक समानता का सिद्धांत किसने" प्रतिपादित किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-30
|type="()"}
+[[अरस्तू]]
-रूसो
-[[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]]
-रॉल्स
||'आनुपातिक समानता का सिद्धांत' राजनीतिक विज्ञान के जनक '[[अरस्तू]]' ने प्रतिपादित किया है। इनके अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को समाज के सदस्य के रूप में उसका उचित भाग प्रदान करता चाहिए। राज्य को अपने नागरिकों के महत्त्व व योग्यता को दृष्टि में रखते हुए उनमें राजनीतिक पदों, सम्मानों, अन्य लाभों या पुरस्कारों का बंटवारा न्यायपूर्ण व अनुपातिक रूप में करना चाहिए क्योंकि इसके विषम वितरण से राज्य में असंतोष उत्पन्न होगा।
 
 
{इनमें से कौन राजनीति विज्ञान में दार्शनिक सिद्धांत का प्रमुख उन्नायक है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-73
|type="()"}
-जार्ज कैटलिन
+लियो स्ट्रॉस
-जार्ज सेबाइन
-नार्मन जैकबसन
||लियो स्ट्रॉस राजनीति विज्ञान में दार्शनिक सिद्धांत के प्रमुख उन्नायक हैं लियो स्ट्रॉस ने राजनीति सिद्धान्त और राजनीति दर्शन में भेद बताया है। इनकी मान्यता है कि ये दोनों ही राजनीतिक चिंतन के अंग है। इनके अनुसार राजनीतिक सिद्धांत-राजनीतिक घटनाओं की प्रकृति को उसके सही रूप में जानने का प्रयत्न है तथा राजनीतिक दर्शन से तात्पर्य राजनीतिक गतिविधियों के संबंध में अभिमत के स्थान पर उनकी प्रकृति के संबंध में ज्ञान की स्थापना करने का प्रयत्न है। राजनीतिक गतिविधियों की प्रकृति और अच्छी राजनीतिक व्यवस्था के स्वरूप को उनके सही रूप में जान लेने का प्रयत्न है।
 
{कोई विधेयक वित्त विधेयक है अथवा नहीं, इसका निर्णय कौन करता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-146,प्रश्न-50
|type="()"}
-[[सर्वोच्च न्यायालय]] का मुख्य न्यायाधीश
-[[लोक सभा अध्यक्ष|लोक सभा का अध्यक्ष]]
-[[प्रधानमंत्री]]
+इनमें से कोई नहीं
||कोई विधेयक वित्त विधेयक है अथवा नहीं, इसके लिए निर्णय की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 117 में वित्त विधेयक के संबंध में विशेष उपबंध का उल्लेख है। सामान्य रूप से कोई ऐसा विधेयक वित्त विधेयक होता है जो राजस्व व्यय से संबंधित हो। वित्त विधेयकों में किसी धन विधेयक के लिए [[संविधान]] में उल्लिखित किसी मामले का उपबंध करने के अतिरिक्त, अन्य मामलों का भी उपबंध किया जाता है। वित्त विधेयकों को निम्नलिखित दो श्रेणियों में रखा जा सकता है- श्रेणी (क) ऐसे विधेयक जिसमें धन विधेयक के लिए अनुच्छेद 110 में उल्लिखित किसी भी मामले के लिए उपबंध किए जाते है परंतु केवल उन्हीं मामलों के लिए ही उपबंध नहीं किए जाते, उदाहरणार्थ कोई विधेयक जिसमें करारोपण का खंड होता है परंतु वह केवल करारोपण के संबंध में नहीं होता। श्रेणी (ख) ऐसे विधेयक जिसमें संचित निधि से व्यय संबंधी उपबंध हों, जबकि कोई विधेयक 'धन विधेयक' है या नहीं इसका विनिश्चय संविधान के अनुच्छेद 110 (3) के अनुसार [[लोक सभा अध्यक्ष]] द्वारा किया जाता है और उसका विनिश्चय अंतिम होता है।
 
{किन दो भाषाओं का उपयोग [[भारत]] के किसी भी हिस्से में भाषाओं के रूप में नहीं होता? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-157,प्रश्न-118
|type="()"}
+[[सिंधी भाषा|सिंधी]] और [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
-सिंधी और [[अंग्रेज़ी]]
-[[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] और [[उर्दू भाषा|उर्दू]]
-[[तमिल भाषा|तमिल]] और [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]]
||[[सिंधी भाषा|सिंधी]] तथा [[संस्कृत भाषा]] का उपयोग भारत]] के किसी भी हिस्से में [[भाषा|भाषाओं]] के रूप में नहीं होता है। ये दोनों ही भाषाएं [[आठवीं अनुसूची]] में वर्णित 22 भाषाओं में सम्मिलित हैं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[आठवीं अनुसूची]]
 
 
{अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के यथार्थवादी दृष्टिकोण के विकास में निम्नलिखित में से किस विद्वान का योगदान नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न-83
|type="()"}
-जॉर्ज कैनन
-राइनॉल्ड नेबूर
-हान्स मार्गेन्थाऊ
+अब्राहम लिंकन
||अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के यथार्थवादी दृष्टिकोण के विकास में कई विद्वानों का योगदान रहा है जिनमें जॉर्ज कैनन, राइनॉल्ड नेबूर, जॉर्ज श्वरजनबरगर, डॉ हेनरी किंसिजर तथा हान्स, मॉरगेन्थाऊ प्रमुख हैं, जबकि अब्राहम लिकंन प्रजातांत्रिक व्यवस्था के पोषक थे।
 
{मार्क्सवाद स्थापित करना चाहता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-43
|type="()"}
-न्यायसंगत समाज
-उत्पादन एवं वितरण पर आधारित समाज
-शोषण विहीन, वर्ग विहीन समाज
+उपरोक्त सभी
||मार्क्सवाद एक न्यायसंगत समाज, उत्पादन व वितरण पर आधारित समाज, शोषण विहीन, वर्ग विहीन, राज्य विहीन समाज के स्थापना की बात करना है और यह सब 'साम्यवाद' में ही संभव है।
 
{'श्रेणी समाजवाद' का संबंध निम्न में से किस देश से रहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-60,प्रश्न-54
|type="()"}
-[[फ़्रांस]] से
-[[अमेरिका]] से
+[[ब्रिटेन]] से
-[[भारत]] से
||श्रेणी समाजवाद का उदय 20 वीं सदी में प्रारंभ [[इंग्लैंड]] में हुआ यह मूलत: फेवियन आंदोलन की ही एक शाखा थी। इसे गिल्ड समाजवाद भी कहा जाता है। इसे [[फ़्रांस]] के श्रम संघवाद तथा ब्रिटेन के फेबियनवाद का विचित्र मिश्रण कहा जा सकता है। यह स्पष्टत: मार्क्सवाद का विरोधी है। यह [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] के सभी प्रमुख सिद्धांतों- इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या, वर्ग संघर्ष, मूल्य का श्रम सिद्धांत, सर्वहारा का अधिनायकवाद, राज्य का लोप का विरोधी है। यह शांतिपूर्ण एवं संवैधानिक तरीकों में विश्वास करता है। ए.जे. पेटी ए.आर. ऑरेंज तथा एस.जी. हॉब्स इसके प्रमुख विचारक हैं।
 
{निम्न में से कौन [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55
{निम्न में से कौन [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55
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{राजनीतिक यथार्थवाद के मुख्य प्रवक्ता के रूप में किया विचारक को जाना जाता है (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-63
{राजनीतिक यथार्थवाद के मुख्य प्रवक्ता के रूप में किया विचारक को जाना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-63
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-जॉर्ज एफ, केनन
-जॉर्ज एफ, केनन
+मॉरगेर्न्थाऊ
+मारगेन्थाऊ
-ट्रीटस्के
-ट्रीटस्के
-डेविड ईस्टन
-डेविड ईस्टन
||राजनीति यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मॉरगेंथाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मॉरगेंथाऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का केंन्द्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मॉरगेंथाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है।
||राजनीति यथार्थवाद का मुख्य प्रवक्ता मारगेन्थाऊ है। अपनी पुस्तक 'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' में मारगेन्थाऊ ने शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का केंन्द्र बिंदु माना है। उसकी दृष्टि में शक्ति राष्ट्रहित का ही प्रतिबिंब है। मारगेन्थाऊ ने यथार्थवाद को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया है।




{"स्वतंत्रता इसके अलवा और कुछ नहीं है कि इस इच्छा का प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो" निम्नलिखित में से कौन-सा वाद इस वक्तव्य को मानता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-31
{"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि इस इच्छा का प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो" निम्नलिखित में से कौन-सा वाद इस वक्तव्य को मानता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-31
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+उदारवाद
+उदारवाद
-समाजवाद
-समाजवाद
-बहुलवाद
-बहुलवाद
-फॉसीवाद
-फासीवाद
||"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि उस इच्छा की प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो।" यह कथन स्वतंत्रता केए उदारवादी धारणा को अभिव्यक्त करता है। इसके अनुसार स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिससे उसके सामाजिक जीवन का निर्माण होता है तथा यह व्यक्तित्व के विकास की प्राथमिक शर्त है। उदारवाद के अनुसार, राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य, अत: राज्य को व्यक्ति की इच्छा को प्रोत्साहित करते हुए उसकी स्वतंत्रता में वृद्धि करनी चाहिए।
||"स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि उस इच्छा की प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो।" यह कथन स्वतंत्रता के उदारवादी धारणा को अभिव्यक्त करता है। इसके अनुसार स्वतंत्रता की इच्छा व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, जिससे उसके सामाजिक जीवन का निर्माण होता है तथा यह व्यक्तित्व के विकास की प्राथमिक शर्त है। उदारवाद के अनुसार, राज्य साधन है तथा व्यक्ति साध्य, अत: राज्य को व्यक्ति की इच्छा को प्रोत्साहित करते हुए उसकी स्वतंत्रता में वृद्धि करनी चाहिए।




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-परेटो ने
-परेटो ने
-मोस्का ने
-मोस्का ने
||रॉबर्ट मिचेल्स 20वीं सदी के प्रारंभ का जर्मन समाज वैज्ञानिक था। इसे राजनीतिक समाज विज्ञान का अग्रदूत माना जाता है। मोस्का, पैरेटो तथा [[मैक्स वेबर]] के साथ इसे विशिष्ट वर्गवाद का प्रर्वतक माना जाता है। मिचेल्स ने अपनी कृति 'पोलिटिकल पार्टीज' में अपना प्रमुख सिद्धांत 'गुटतंत्र का लौह नियम' प्रस्तुत किया। मिचेल्स की मान्यता है कि सभी संगठित समूह चाहे वे राज्य हो, राजनीतिक दल हो, मजदूर संघ हो, व्यवहार के धरातल पर गुटतंत्र का रूप धारण कर लेते हैं। अर्थात उनमें सारी शक्ति इन गिने नेताओं के हाथों में केंद्रित हो जाती है। चाहे उनका औपचारिक संविधान कैसा भी क्यों न हो।
||रॉबर्ट मिचेल्स 20वीं सदी के प्रारंभ का जर्मन समाज वैज्ञानिक था। इसे राजनीतिक समाज विज्ञान का अग्रदूत माना जाता है। मोस्का, पैरेटो तथा [[मैक्स वेबर]] के साथ इसे विशिष्ट वर्गवाद का प्रवर्तक माना जाता है। मिचेल्स ने अपनी कृति 'पोलिटिकल पार्टीज' में अपना प्रमुख सिद्धांत 'गुटतंत्र का लौह नियम' प्रस्तुत किया। मिचेल्स की मान्यता है कि सभी संगठित समूह चाहे वे राज्य हो, राजनीतिक दल हो, मजदूर संघ हो, व्यवहार के धरातल पर गुटतंत्र का रूप धारण कर लेते हैं। अर्थात उनमें सारी शक्ति इन गिने नेताओं के हाथों में केंद्रित हो जाती है। चाहे उनका औपचारिक संविधान कैसा भी क्यों न हो।




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-जेम्स रोजनाऊ
-जेम्स रोजनाऊ
+मॉर्गेन्थाऊ
+मारगेन्थाऊ
-फेलिक्स ग्रास
-फेलिक्स ग्रास
-थाम्पसन
-थाम्पसन
||हान्स जे. मार्गेन्थाऊ के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है"। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अंतिम लक्ष्य चाहे कुछ भी हो, शक्ति सदैव तात्कालिक उद्देश्य रखती है। मार्गेन्थाऊ को यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।
||हान्स जे. मारगेन्थाऊ के शब्दों में "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है"। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का अंतिम लक्ष्य चाहे कुछ भी हो, शक्ति सदैव तात्कालिक उद्देश्य रखती है। मार्गेन्थाऊ को यथार्थवादी दृष्टिकोण का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।


{सर्वप्रथम किस मार्क्सवादी ने राष्ट्रवाद के अभिमत को स्वीकार किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-44
{सर्वप्रथम किस मार्क्सवादी ने राष्ट्रवाद के अभिमत को स्वीकार किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-44
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-ग्राम्सी
-ग्राम्सी
-काटस्की
-काटस्की
||जोसेफ स्टालिन ने मार्क्सवाद के अंतर्गत राष्ट्रवाद (Nationalism) का विचार प्रस्तुत किया। इसके पहेल [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]], एंजिल्स व लेनिन का विचार अंतर्राष्ट्रीयतवाद (Internationalism) में विश्वास रखता था। लेकिन स्टालिन ऐसे प्रथम मार्क्सवादी विचारक व राजनेता था जिसने "एक देश में समाजवाद" का सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसके द्वारा क्रांति के अंतर्राष्ट्रीयतवाद की चाहत कम होती गई।
||जोसेफ़ स्टालिन ने मार्क्सवाद के अंतर्गत राष्ट्रवाद (Nationalism) का विचार प्रस्तुत किया। इसके पहले [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]], एंजिल्स व लेनिन का विचार अंतर्राष्ट्रीयतावाद (Internationalism) में विश्वास रखता था, लेकिन स्टालिन ऐसे प्रथम मार्क्सवादी विचारक व राजनेता थे जिसने "एक देश में समाजवाद" का सिद्धांत प्रस्तुत किया। जिसके द्वारा क्रांति के अंतर्राष्ट्रीयतावाद की चाहत कम होती गई।


{सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में इनमें से किस पर अधिक जोर दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-55
{सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में इनमें से किस पर अधिक जोर दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-55
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-कृषकों-श्रमिकों की एकता पर
-कृषकों-श्रमिकों की एकता पर
+श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर
+श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर
||सिंडिकेलिस्ट समाजवाद की कार्यपद्धतियों में आम हड़ताल, औद्योगिक तोड़फोड़, बहिष्कार, धीरे-धीरे काम करना, सुस्ती, लापरवाही तथा गलत लेबल लगाना प्रमुख हैं। ये अपनी कार्यपद्धति को सांकेतिक नाम ''केकेनी' देते हैं।
||सिंडिकेलिस्ट समाजवाद की कार्यपद्धतियों में आम हड़ताल, औद्योगिक तोड़फोड़, बहिष्कार, धीरे-धीरे काम करना, सुस्ती, लापरवाही तथा ग़लत लेबल लगाना प्रमुख हैं। ये अपनी कार्यपद्धति को सांकेतिक नाम ''केकेनी'' देते हैं।


{कौन-सा सिद्धांत मानता है कि अधिकार राज्य द्वारा निर्मित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-11
{कौन-सा सिद्धांत मानता है कि अधिकार राज्य द्वारा निर्मित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-11
Line 164: Line 82:
-आदर्शवादी
-आदर्शवादी


{शब्द 'फेडरेलिज्म', 'फोडम' (Foedus) से ग्रहण किया गया है। यह किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-1
{शब्द 'फेडरेलिज्म', 'फोडस' (Foedus) से ग्रहण किया गया है। यह किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-1
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-स्पेनिश
-स्पेनिश

Revision as of 12:17, 17 November 2017

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{निम्न में से कौन राज्य का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55

सरकार
संप्रभुता
भू-भाग
कानून

2 राजनीतिक यथार्थवाद के मुख्य प्रवक्ता के रूप में किया विचारक को जाना जाता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-74,प्रश्न-63

जॉर्ज एफ, केनन
मारगेन्थाऊ
ट्रीटस्के
डेविड ईस्टन

3 "स्वतंत्रता इसके अलावा और कुछ नहीं है कि इस इच्छा का प्रोत्साहित करना जो विनम्र व्यक्तियों के अनुदिष्ट अंत:करण पर आधारित हो" निम्नलिखित में से कौन-सा वाद इस वक्तव्य को मानता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-88,प्रश्न-31

उदारवाद
समाजवाद
बहुलवाद
फासीवाद

4 'गुटतंत्र के लौह नियम' का प्रतिपादन किसने किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-75,प्रश्न-74

रॉबर्ट मिचेल्स ने
मैक्स वेबर ने
परेटो ने
मोस्का ने

5 भारत में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन कब हुआ था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-157,प्रश्न-119

1968 में
1971 में
1977 में
1979 में

6 "अंतर्राष्ट्रीय राजनीति राष्ट्रों के बीच निरंतर होने वाले शक्ति संघर्ष के अतिरिक्त कुछ नहीं है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-77,प्रश्न-84

जेम्स रोजनाऊ
मारगेन्थाऊ
फेलिक्स ग्रास
थाम्पसन

7 सर्वप्रथम किस मार्क्सवादी ने राष्ट्रवाद के अभिमत को स्वीकार किया था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-58,प्रश्न-44

फिदेल कास्त्रो
स्टालिन
ग्राम्सी
काटस्की

8 सिंडिकेलिस्ट समाजवाद में इनमें से किस पर अधिक जोर दिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-61,प्रश्न-55

असंगठित श्रमिकों और शांतिपूर्ण आंदोलन पर
सहकारिता और भूमिहीन श्रमिकों पर
कृषकों-श्रमिकों की एकता पर
श्रमिक संघ और व्यापक हड़ताल पर

9 कौन-सा सिद्धांत मानता है कि अधिकार राज्य द्वारा निर्मित है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-90,प्रश्न-11

कानूनी
प्राकृतिक
ऐतिहासिक
आदर्शवादी

10 शब्द 'फेडरेलिज्म', 'फोडस' (Foedus) से ग्रहण किया गया है। यह किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-1

स्पेनिश
लैटिन
फ्रेंच
अंग्रेज़ी