प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {अकबर का प्रसिद्ध दरबारी चित्रकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-65 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -बिहजाद | ||
- | -अबुल हसन | ||
+ | +अब्दुस्समद | ||
- | -मनोहर | ||
|| | ||प्रश्न का कोई भी विकल्प सही नहीं है। अकबर ने अब्दुस्समद के अधीन चित्रकला के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की थी। अकबर ने इसे राजधानी में टकसाल का प्रभारी भी बनाया था। बाद में उसे सुल्तान का दीवान नियुक्त किया गया | ||
{ | {गीत गोविन्द के चित्र किस शैली में बने हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -मुगल | ||
- | -कांगड़ा | ||
+ | -बूंदी | ||
+बसौली | |||
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बंगाल के अमर कवि जयदेव द्वारा लिखित 'गीत गोविन्द' को बसौली शैली में चित्रित करने का श्रेय महिला चित्रकार 'मानकू' को प्राप्त है। | |||
{ | {नंदलाल बोस का जन्म कहां हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-41 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +मुंगेर | ||
- | -कलकत्ता | ||
- | -चौबीस परगना | ||
-रामकिंकर बैज | |||
|| | ||नंदलाल बोस का जन्म 3 दिसंबर, 1882 को बिहार के मुंगेर नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। 16 अप्रैल, 1966 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में उनका देहांत हुआ। | ||
{ | {कौन चित्रकार पद्म विभूषण से सम्मानित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-43 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +नंदलाल बोस | ||
-रबीन्द्रनाथ टैगोर | |||
- | -असित कुमार हल्दर | ||
- | -जामिनी राय | ||
|| | ||उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंची में (a) दिया था। किंतु परिवर्तित उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न को गलत बताया है। यह समझ से परे है कि चयन बोर्ड ने किस आधार पर इसका उत्तर गलत माना है जबकि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता के रूप में दिए गए विकल्पों में मात्र विकल्प (a) ही सही है। चयन बोर्ड यही प्रश्न अपने पूर्ववर्ती परीक्षा में पूछ चुका है | ||
{पूर्व मध्य कालीन (प्राकृत) कला के- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-34 | |||
|type="()"} | |||
-चित्रों में लय और गति का पूर्ण अभाव है। | |||
+चित्र लय एवं गति पूर्ण है। | |||
-चित्रों में भावो का पूर्ण अभाव है। | |||
-चित्र उच्चकोटि के हैं। | |||
||पूर्व मध्य कालीन या प्राकृत कला के चित्रों में लय एवं गति पूर्ण है क्योंकि इस शैली के रंगों की कोमलता होते हुए भी रेखाएं कर्कश, मुद्राएं उग्रता लिए तथा आकृतियों की अंग-भंगिमाए अकड-जकड़दार हैं। | |||
{निम्नलिखित में से कौन राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास का प्रधानाचार्य नहीं था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-191,प्रश्न-55 | |||
|type="()"} | |||
-के.सी.एस. पनिकर | |||
-देवी प्रसाद रायचौधरी | |||
-आर.कृष्ण राव | |||
+दिनकर कौशिव | |||
||दिनकर कौशिक राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य नहीं थे। वे लखनऊ आर्ट स्कूल के प्रधानाचार्य रहे जबकि देवी प्रसाद रायचौधरी, के.सी.एस. पनिकर एवं आर. कृष्ण राव राजकीय कला एवं शिल्प विद्यालय, मद्रास के प्रधानाचार्य थे। देवी प्रसाद रायचौधरी (1929 में) इस विद्यालय के पहले भारतीय प्रधानाचार्य थे। | |||
{7वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के मध्य किस शैली का उद्भव एवं विकास हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-44,प्रश्न-28 | |||
|type="()"} | |||
-राजपूत शैली | |||
+जैन शैली | |||
-मुगल शैली | |||
-पाल शैली | |||
||जैन चित्र कागज पर 13वीं शताब्दी में बने। 7वीं से 12वीं शताब्दी तक संपूर्ण भारत में जैन शैली का विशेष प्रभाव रहा। प्रारंभ में ग्रंथों तथा चित्रों के निर्माण में ताल के पत्तों तथा बाद में कागज का प्रयोग किया गया। | |||
{मेवाड़ चित्रों का प्रिय विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-50,प्रश्न-25 | |||
|type="()"} | |||
-बुद्ध | |||
-दुष्यंत | |||
-जैन | |||
+कृष्ण | |||
||मेवाड़ शैली के चित्र काफी हद तक धार्मिक हैं। उनमें भी कृष्ण के चित्रण को सर्वाधिक प्रमुखता प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त मेवाड़ शैली में नायिका भेद, रसिक प्रिया, भगवतपुराण, रामायण, आर्य रामायण, पंचतंत्र आदि मेवाड़ शैली के चित्रण के विषय रहे। | |||
{ईरान के राजाओं को किस सचित्र मुगल पोथियों में अंकित किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-82 | |||
|type="()"} | |||
-तुजुक-ए-जहांगीरी | |||
-आईन-ए-अकबरी | |||
-तूतीनामा | |||
+शाहनामा | |||
||प्रमुख ईरानी ग्रंथ 'शाहनामा' का चित्रण अकबर काल में किया गया इसमें ईरान के राजाओं का चित्रण किया गया। | |||
{नव बंगाल शैली किसकी देन थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-81,प्रश्न-36 | |||
|type="()"} | |||
-क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | |||
-असित हल्दर | |||
+नंदलाल बोस | |||
-जामिनी राय | |||
||नव बंगाल शैली कोई अलग शैली नहीं थीं बल्कि यह बंगाल शैली का ही एक रूप था। बंगाल शैली में 'वॉश पद्धति' को अधिकांश चित्रकारों द्वारा अपनाया गया था लेकिन उन्हीं में से कुछ कलाकारों ने 'टेम्परा पद्धति' को अपनाया जिनमें प्रमुख रूप से आचार्य नंदलाल बोस, क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार आदि थे। अत: बंगाल शैली जो कि 'वॉश शैली' पर आधारित थी, को टेम्परा शैली' में प्रयोग करने के कारण इसे 'नव बंगाल शैली' कहा जा सकता है | |||
{'टर्नर' किसके लिए जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-117,प्रश्न-13 | |||
|type="()"} | |||
-प्रिंट मेकिंग | |||
+भू-दृश्य चित्रकार | |||
-मुखाकृति चित्रकार | |||
-मूर्तिकार | |||
||इंग्लैंड के भू-दृश्य (लैंडस्केप) चित्रकारों में जोसेफ मैलॉर्ड विलियम टर्नर (1775-1851 ई.) को अद्भुत प्रतिभाशाली एवं संयमी कलाकार माना जाता है। उनका कार्य प्रभाववादियों के लिए एक रोमांटिक प्रस्तावना के रूप में जाना जाता है। वह अपने तैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध थे। वर्ष 1839 में उनके द्वारा चित्रित चित्र 'द फाइटिंग टेंपरेरी' तैलीय माध्यम में बनी हुई है। वह ब्रिटिश वाटरकलर लैंडस्केप चित्रकारी के महानतम पुरोधा भी थे। टर्नर ने अपनी कला के द्वारा प्रकाश का प्रयोग विकसित किया। | |||
{बी.सी सान्याल थे, इनके समकालीन- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-146,प्रश्न-62 | |||
|type="()"} | |||
-राजा रवि वर्मा | |||
+अमृता शेरगिल | |||
-वैन्गोघ | |||
-सेजां | |||
||बी.सी. सान्याल -(1901-2003) अमृता शेरगिल -(1913-1941) राजा रवि वर्मा -(1848-1906) वैन्गोघ अथवा वान गॉग -(1853-1890) पाल सेजां -(1839-1906) | |||
उपर्युक्त के आधार पर बी.सी. अमृता शेरगिक के समकालीन प्रतीत होते हैं। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
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Revision as of 12:23, 26 November 2017
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