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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रकारों का प्रिय विषय क्या था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-17
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| -प्रकृति चित्रण
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| +[[राधा]]-[[कृष्ण]]
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| -[[शिव]]-[[पार्वती]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रकारों का प्रिय विषय 'राधा-कृष्ण' के चित्रण था। कांगड़ा शैली के संरक्षक राजा संसारचंद वैष्णव धर्म के अनुयायी और [[कृष्ण]] भक्त थे। उनका प्रश्रय पाकर चित्रकारों ने कृष्ण-लीला जैसे विषय को अपनी रुचि के अनुरूप चित्रित किया। [[कृष्ण]] से बढ़कर नायक उनकी दृष्टि में नहीं था। यही कारण है कि समस्त पहाड़ी कला-कृतियों में कृष्ण-कृतियों में कृष्ण का चित्रण छाया रहा। कृष्ण संबंधी अनेक कांगड़ा चित्र संसार भर के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं।
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| {'सिस्टीन मेडोना' को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-33
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| -[[लियोनार्डो दा विंची|लियोनार्डो]]
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| -बोत्तिचेल्ली
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| +राफेल
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| -मैसिचियो
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| ||पुनरुत्थानवादी चित्रकार (इटालियन) राफेक सैंजिओ के प्रमुख चित्र हैं- सैनिक का स्वप्न, स्कूल ऑफ़ एथेंस, क्रूसीफिक्शन, सिस्टीन मेडोना, मेडोना ऑफ़ द गोल्ड फिंचम परनासस, ज्यूरिस प्रूडेंस, द मैरिज ऑफ़ वर्जिन, ट्रांसफिगरेशन इत्यादि।
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| {'नवप्रभाववाद' के प्रणेता कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-39
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| +जॉर्ज सोरा
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| -वान गॉग
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| -सेजां
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| -मोने
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| ||'नवप्रभाववाद' का संस्थापक जॉर्ज सोरा था। नवप्रभाववाद की अवधि 1884-1886 ई. थी। इसमें तेल व कैनवास की सहायता से चित्रों को उकेरा गया।
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| {असंबद्ध चित्रकार का नाम बताएं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-39
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| -[[जामिनी राय]]
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| +राजकुमार
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| -बी.प्रभा
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| -के.एस. कुलकर्णी
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| ||राजकुमार वर्मा का संबंध प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप से था तथा वे [[भारत]] में अमूर्त कला के सबसे महत्त्वपूर्ण एवं पहले [[चित्रकार]] थे। शेष इनसे भिन्न हैं।
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| {[[तैयब मेहता]] किस अंग्रेज़ [[चित्रकार]] से प्रभावित थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-144,प्रश्न-49
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| +फ्रांसिस बेकन
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| -डेविड हॉवनी
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| -केटी
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| -डेविड
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| ||प्रगतिवादी समूह के कलाकार 'गायतोंड़े' (जो बाद में 'बॉम्बे ग्रुप' नामक नए समूह से जुड़ गए थे) एक पेंटर के रूप में जाने जाते थे। इन्होंने वस्तु- जनित संयोजन और श्रेष्ठ पोत का निर्माण किया।
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| {[[रंग]] क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-15
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| |type="()"}
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| -कलर स्टिक
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| -कलर केक
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| -कलर बॉटल
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| +प्रकाश का गुण
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| ||हमें वस्तुओं का रंग बोध, प्रकाश की किरणों के द्वारा ही होता है। ये [[प्रकाश]] की किरणें वस्तु से प्रतिबिंबित होकर रेटिना। (दृष्टिपटल) तक पहुंचती हैं। ऊर्जा का जो विकिरण हम नेत्रों से अनुभव करते हैं उसे वर्ण या [[रंग]] कहा जाता है।
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| {आलंकारिक आलेखन किन रेखाओं से बनाए जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-54
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| |type="()"}
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| +लयात्मक रेखा
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| -ज्यामितिक रेखा
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| -सीधी रेखा
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| -कठोर रेखा
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| ||आलंकारिक आलेखन लयात्मक रेखाओं से बनाए जाते हैं। जब किसी इकाई की निश्चित क्रम में पुनरावृत्ति होती है तो व्यवस्थित लय प्राप्त होती है। इसका प्रयोग मुख्यत: आलंकारिक चित्रण में किया जा सकता है।
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| {कालीघाट के चित्र किस चित्रकार की प्रेरणा बने? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-72
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| |type="()"}
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| +[[जामिनी राय]]
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| -[[नंदलाल बोस]]
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| -[[रबींद्रनाथ टैगोर]]
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| -[[अमृता शेरगिल]]
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| ||[[जामिनी राय]] ने बंगाल की अल्पना, खिलौनों तथा पटुआ व कालीघाट चित्रण से प्रेरणा लेकर चित्रण किया।
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| {बिंदुवाद का कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-45
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| |type="()"}
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| -गोगा
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| +सोरा
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| -रेन्वार
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| -लौत्रेक
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| ||नवप्रभाववाद के प्रेणेता सोरा का जन्म [[1859]] ई. में पेरिस में हुआ। उन्होंने कला का अध्ययन वहां के 'एकोल द बोजार' में प्राप्त किया। सन् [[1884]] में उन्होंने अपने विख्यात चित्र 'ग्रांद जात्त द्वीप में रविवासरीय अपराह्व' को आरंभ किया तथा [[1886]] ई. में उसे पूर्ण करके 'सलों द अंदेपांदा' में प्रदर्शित किया। सोरा की रंगांकन पद्धति को 'बिंदुवादी पद्धति' भी कहा जाता है।
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| {[[वात्स्यायन]] कामसूत्र में वर्णित कलाओं की संख्या है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-28
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| |type="()"}
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| +64
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| -65
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| -66
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| -67
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| ||'कामसूत्र' वात्स्यायन द्वारा लिखा गया भारत का एक 'कामशास्त्र ग्रंथ' है। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए जाना जाता है। [[वात्स्यायन]] का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धांतों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है।
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| {[[जामिनी राय]] का जन्म कब हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-71 | | {[[जामिनी राय]] का जन्म कब हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-71 |
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