प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions

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{निम्नलिखित में से चित्रकला से क्या संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-40
 
{[[पारसी|पारसियों]] का पवित्र ग्रंथ क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-77
|type="()"}
-तोरह
+ज़ेंड-अवेस्ता
-[[कुरान]]
-[[गीता]]
||[[पारसी|पारसियों]] का पवित्र ग्रंथ ज़ेंड-अवेस्ता है। [[पारसी धर्म]] में [[अग्नि]] की उपासना की जाती है। पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र थे। पारसी धर्म को मानने वाले सर्वप्रथम [[ईरान]] से चलकर [[भारत]] के पश्चिमी तट गुजरात पहुंचे और [[गुजरात]] के नौसारी में बस गए। पारसी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं। तोरह, [[यहूदी धर्म]], [[कुरान]], [[मुस्लिम धर्म]] एवं [[गीता]], [[हिंदू धर्म]] का पवित्र ग्रंथ है।
 
{भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों की सर्वप्रथम खोज किस क्षेत्र में हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-1
|type="()"}
|type="()"}
+[[मिर्जापुर]]
-रूप
-[[कानपुर]]
-प्रमाण
-[[इलाहाबाद]]
-भाव
-[[बनारस]]
+लिपि
||भारतवर्ष में प्रागैतिहासिक चित्रों की सर्वप्रथम खोज मिर्जापुर क्षेत्र में हुई है। [[मिर्जापुर]] के डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में मिर्जापुर के इतिहास का उल्लेख कहते हुए यहाँ पर प्राप्त होने वाली चित्रमय गुफ़ाओं को सर्वप्राचीन मानव निवास स्थल बताया गया है।
||भारतीय चित्रकला में चार रूप भित्ति चित्र, चित्रपट, चित्रफलक एवं लद्यु चित्रांकन देखने को मिलते हैं। रूप, प्रमाण और भाव भारतीय चित्रकला के छ: अंगों (रूपभेद, प्रमाण, भाव, लावण्य योजना, सादृश्य एवं वर्णिका भंग) में से तीन अंग हैं और लिपि इससे संबंधित नहीं है, लिपि का संबंध लेखन कला से है।


{इनमें से कौन असंबद्ध है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-43,प्रश्न-21
{सूमी-ए क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-41
|type="()"}
|type="()"}
-बाघ गुहा चित्र
-चीनी कला
-अजंता गुहा चित्र
+जापानी स्याही चित्रण
+सित्तनवासल गुहा चित्र
-फारसी रंग
-बादामी गुहा चित्र
-ईरानी कला
||सित्तनवासल गुहा चित्र विकल्प के अन्य तीनों गुहा चित्रों से असंबद्ध है क्योंकि [[सित्तानवासन गुफ़ा|सित्तनवासल]] एक गुफा मंदिर है जबकि विकल्प में दी गई तीनों गुफ़ाओं में गुफ़ाओं की संख्या एक से अधिक है।
||सूमी-ए, एक प्रकार का जापानी स्याही चित्रण है। सूखी स्याही एक विशेष प्रकार के पत्थर को पीस कर बनायी जाती थी फिर इससे ब्रश की सहायता से चित्र बनाए जाते हैं। 2000 वर्ष पूर्व जापान में ब्रश की सहायता से सूमी स्याही द्वारा जैन धर्म के चित्र बनते थे।


{किस देश की कला को अंत्येष्टि संबंधी कला कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-210,प्रश्न-188
{जैन लद्यु चित्रों की विशेषता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-34
|type="()"}
|type="()"}
-[[चीन]]
-प्रतिकृति चित्रण
-[[भारत]]
-बौनी आकृतियां
-[[जापान]]
-पशु-पक्षी चित्रण
+[[मिस्र]]
+परली आंख का दिखाना
||[[मिस्र]] की कला सबसे अधिक मृत्यु संबंधी और अंत्येष्टि क्रिया से संबंधित है। इस कला का केंद्र (जहां से उत्कृष्ट उदाहरण प्राप्त हुए हैं) मृतक प्राणों का स्मारक रहा है। यहां से चित्रों की लिपि में लिखी एक पुस्तक प्राप्त हुई है जिसे 'मृतकों की पुस्तक' अथवा 'स्वर्गवासियों की पुस्तक' कहते हैं। इसकी खोज जर्मन-मिस्रविद् कार्ल रिचर्ड लेप्सियस ने की जिन्होंने वर्ष 1842 में कुछ पुस्तकों को चयन कर प्रकाशित कराया था।
||जैन लद्यु चित्रों में मानवाकृतियां सवा चश्म हैं और एक ही ढंग से बनी हुई हैं। इनकी नाक अनुपात में अधिक लबीं, नुकीली और परले गाल की सीमा रेखा से आगे निकली बनाई गई है। आंखें पास-पास और बड़ी बनाई गई हैं और उनकी रचना दो वक्रों के द्वारा की गई है।


{[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास किस बादशाह के दरबार में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-66,प्रश्न-70
{शांतिनिकेतन की स्थापना किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-63
|type="()"}
|type="()"}
-[[अकबर]]
-अबनींद्रनाथ टैगोर
+[[शाहजहां]]
-मदन मोहन मालवीय
-[[जहांगीर]]
+रबींद्रनाथ टैगोर
-[[औरंगजेब]]
-गगनेन्द्रनाथ टैगोर
||[[मुगल कालीन चित्रकला|मुगल चित्रकला]] में 'स्याह कलम' का विकास मुगल बादशाह [[शाहजहां]] के दरबार में हुआ। इसके अंतर्गत काले रंगों का प्रयोग किया गया। इन चित्रों की भाव व्यंजना शून्य है। ये स्थित मुद्राओं को प्रकट करते हैं तथा अस्वाभाविक अलंकरण है। इन चित्रों में एक प्रकार का सन्नाटा दृष्टिगोचर होता है।


{[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] की कला शिक्षा कहां हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-46
||1862ई. में महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर (रबीन्द्रनाथ टैगोर के पिता) जन नाव द्वारा रायपुर की यात्रा कर रहे थे। तो उस पार धान के हरे-भरे खेत और लाल मिट्टी की भू-दृश्य देखी। उन्होंने वहां और पौधे लगाने तथा एक छोता घर बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने इस घर को शांतिनिकेतन नाम दिया। 1863 में यहां एक आश्रम की स्थापना की जो 'ब्रह्मो समाज' का प्रेरक बना। 1901 में रबीन्द्रनाथ ने शांतिनिकेतन में एक स्कूल की स्थापना 'ब्रह्मचारी आश्रम' के नाम से एक मॉडल स्कूल की स्थापना की जो प्राचीन गुरुकुल पद्धति की तरह था, बाद में इसे 'पठा भवर' के नाम से जाना गया। उपयुक्त विकल्प की अनुपस्थिति में इसे विकल्प (c) माना जा सकता है।
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-श्री निकेतन
-कलकत्ता स्कूल ऑफ़ आर्ट्स
+[[शांतिनिकेतन]]
-बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स
||[[रामकिंकर बैज|राम किंकर बैज]] का जन्म वर्ष 1910 में [[पश्चिम बंगाल]] के बांकुरा में हुआ था। उन्होंने वर्ष [[1925]] में कला भवन, विश्व भारती विश्वविद्यालय, [[शान्तिनिकेतन]] में कला की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने दो यूरोपीय शिल्पकारों से शिक्षा प्राप्त की। इनमें से एक बोर्डिले के शिष्य थे जो टैगोर के आमंत्रण पर शांतिनेकेतन की यात्रा पर आए थे। राम किंकर बैज की मृत्यु [[2 अगस्त]], 1980 को [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकत्ता) में हो गई।


{छपाई कला की खोज कहाँ हुई थी- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-60
|type="()"}
-[[इंग्लैंड]]
-[[फ्रांस]]
+[[चीन]]
-[[भारत]]
||छपाई कला की खोज सबसे पहले [[चीन]] में हुई थी। लगभग 7वीं सदी में ही चीन वारा वुड ब्लॉक प्रिंटिंग के माध्यम से छपाई कला का प्रयोग किया जा रहा था। [[यूरोप]] में भी यह कला 14वीं शताब्दी के आस-पास प्रयोग की जा रही थी। गुटेनबर्ग ने घातुओं का प्रयोग कर सबसे पहले 'लेटर प्रेस प्रिंटिंग तकनीक' को विकसित किया था।


{'[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]]' किस चित्र-शैली से संबद्ध थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-64
|type="()"}
+आधुनिक चित्र कलाशैली
-कंपनी स्कूल
-बंगाल स्कूल
-राजस्थानी स्कूल
||[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] आधुनिक [[चित्रकला]] शैली से संबद्ध थे। साहित्य के लिए [[नोबेल पुरस्कार]] (1913) से सम्मानित रबीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941 ई.) एक संपन्न बंगाली परिवार में पैदा हुए थे। वे नोबेल प्राप्त करने वाले प्रथम भारतीय थे।


{जॉन कांस्टेबल संबंधित हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-118,प्रश्न-19
|type="()"}
-रोकोको पेंटिंग
-बरोक पेंटिंग
-हार्ड रेनेशां पेंटिंग
+इंग्लिश रोमांटिक पेंटिंग
||आधुनिक काल के प्रणेताओं में गोया, दाविए तथा टर्नर के साथ ही जॉन कांस्टेबल का नाम लिखा जाता है। टर्नर की भांति वह प्राकृतिक दृश्य को किसी पौराणिक अथवा ऐतिहासिक कथानक  से या प्रतीक से जोड़कर प्रस्तुत नहीं करता था अपितु किसी भी सरल, सुपरिचित स्थान को सरल विधि से ही अंकित करना चाहता था। इसलिए उसके दृश्य-चित्र 'प्रकृत्याश्रित' कहे जाते हैं।


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Revision as of 12:32, 7 January 2018

1 निम्नलिखित में से चित्रकला से क्या संबंधित नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-40

रूप
प्रमाण
भाव
लिपि

2 सूमी-ए क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-41

चीनी कला
जापानी स्याही चित्रण
फारसी रंग
ईरानी कला

3 जैन लद्यु चित्रों की विशेषता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-34

प्रतिकृति चित्रण
बौनी आकृतियां
पशु-पक्षी चित्रण
परली आंख का दिखाना

4 शांतिनिकेतन की स्थापना किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-63

अबनींद्रनाथ टैगोर
मदन मोहन मालवीय
रबींद्रनाथ टैगोर
गगनेन्द्रनाथ टैगोर