प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
कविता भाटिया (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
| | | | ||
<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{अपभ्रंश शैली के चित्रों का क्या विषय है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-45,प्रश्न-31 | |||
|type="()"} | |||
+जैन | |||
-बौद्ध | |||
-ब्राह्मण | |||
-शृंगार | |||
{विश्व प्रसिद्ध 'बाज पक्षी' का चित्र निम्न में से किस चित्रकार ने बनाया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-41 | |||
|type="()"} | |||
-उस्ताद बश्मीर | |||
+उस्ताद मंसूर | |||
-उस्ताद मान खां | |||
-उस्ताद सौयद अली | |||
{निम्न में से चित्र के सदर्भ में कौन-सा सही जोड़ा बना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-68,प्रश्न-80 | |||
|type="()"} | |||
+अकबर-सलीम का जन्म | |||
-शाहजहां-जेबरा | |||
-सलीम-दिल्ली दरबार | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
{ | {ग्रुप 1890 को यह नाम देने के पीछे क्या कारण था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-147,प्रश्न-70 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -यह 1890 में स्थापित हुआ। | ||
- | -इसके 1890 सदस्य थे। | ||
- | +यह जिस भवन में स्थापित हुआ उसका नंबर 1890 था। | ||
-इनमें से कोई नहीं। | |||
|| | ||25-26 अगस्त, 1692 को जे. स्वामीनाथन के नेतृत्व में दर्जनों कलाकारों के समूह जिनमें अंबादास, जेराम पटेल, ज्योति भट्ट, राघव कनेरिया, बालकृष्ण पटेल, गुलाम मोहम्मद शेख, रेडप्पा नायडू, एस.जी. निकम, राजेश मेहरा, हिम्मत शाह एवं एरिक बोवेन शामिल थे, के द्वारा भावनगर (जिला-बड़्पदा, गुजरात) में ग्रुप 1890 की स्थापना हुई। 1890 जयंत एवं ज्योंति पांड्या के मकान की संख्या थी। उसी मकान में स्थापित होने के कारण इसका नाम ग्रुप 1890 रखा गया। 'ग्रुप 1890' का मैनीफेस्टो जुलाई, 1963 में स्वाकार किया गया। | ||
{गौतम बुद्ध ने 'निर्वाण' कहां प्राप्त किया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-226,प्रश्न-310 | |||
|type="()"} | |||
-गया | |||
+कुशीनगर | |||
-सारनाथ | |||
-नालंदा | |||
||बुद्ध अपने धर्म का प्रचार करते हुए मल्लों की राजधानी पावा पहुंचे। जहां वे चुंद नामक लुहार के यहां ठहरे। वहीं पर उसने सूकरमद्दव खाने को दिया। जिससे उन्हें रक्तातिसार हो गया और भयानक पीड़ा के साथ वे मल्लों की राजधानी कुशीनारा (कुशीनगर) पहुंचे। यहीं पर वह 80 वर्ष की अवस्था में 483 ई.पू. में शरीर त्याग दिया। बौद्ध ग्रंथों में इसे 'महापरिनिर्वाण' कहा जाता है। | |||
{ | {कौन समकालीन चित्रकार एक फिल्म स्टार के चित्रों की शृंखला बना रहे हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-100,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -एम.एच. रज़ा | ||
+ | -सतीश गुजराल | ||
+एम.एफ. हुसैन | |||
- | -कृष्ण खन्ना | ||
|| | ||एम.एफ. हुसैन प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के चित्रकार हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, मदर टेरेसा, घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और मकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि। | ||
{ | |||
{'बैले रिहर्सल' किस चित्रकार ने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-28 | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पिसारो | ||
- | -एडवर्ड माने | ||
-कुर्बे | |||
- | +डेगा | ||
{ | {कांगड़ा शैली चित्रों की विषय-वस्तु क्या थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-18 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -राम-सीता | ||
- | -मीरा-कृष्ण | ||
- | -शिव-पार्वती | ||
+ | +राधा-कृष्ण | ||
|| | ||कांगड़ा शैली के चित्रकारों का प्रिय विषय 'राधा-कृष्ण' के चित्रण था। कांगड़ा शैली के संरक्षक राजा संसारचंद वैष्णव धर्म के अनुयायी और कृष्ण भक्त थे। उनका प्रश्रय पाकर चित्रकारों ने कृष्ण-लीला जैसे विषय को अपनी रुचि के अनुरूप चित्रित किया। कृष्ण से बढ़कर नायक उनकी दृष्टि में नहीं था। यही कारण है कि समस्त पहाड़ी कला-कृतियों में कृष्ण-कृतियों में कृष्ण का चित्रण छाया रहा। कृष्ण संबंधी अनेक कांगड़ा चित्र संसार भर के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं। | ||
{ | {लियोनार्दो का जन्म हुआ था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-34 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -1467 ई. | ||
- | +1452 ई. | ||
-1460 ई. | |||
- | -1552 ई. | ||
|| | ||लियोनार्दो द विंसी का जन्म 15 अप्रैल, 1452 को रिपब्लिक ऑफ़ फ्लोरेंस (इटली) के विंसी में विंसी में तथा मृत्यु 2 मई, 1519 को फ्रांस गणराज्य के इम्बोइस में हुआ था। | ||
{ | {'लास्ट सपर' के निर्माता हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-37 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +लियोनार्दो द विंसी | ||
- | -राफेल | ||
-फ्रांस हाल्स | |||
- | -गोंगा | ||
|| | ||'द लास्ट सपर', लियोनार्दो द विंसी द्वारा 15 वीं शताब्दी में चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। यह ईसा मसीह के शूली पर चढ़ने के पूर्व येरूसलम में उनके प्रेरितों के साथ साझा गया अंतिम भोजन का चित्र है। | ||
{ | {एडवर्ड माने द्वारा शुरू की गई शैली जिसमें छाया-प्रकाश के स्थान पर रंगों का प्रयोग करके गोलाई एवं स्थूलत्व का एहसास कराया गया, उसे परंपरावादी समीक्षकों ने कहा- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -घनवाद | ||
- | +प्रभाववाद | ||
- | -अतियथार्थवाद | ||
-फाववाद | |||
|| | ||प्रभाववाद एवं यथार्थवाद में स्पष्ट अंतर है। यथार्थवाद में विषय का अस्तित्व उद्देश्यपूर्ण होता है जबकि प्रभाववाद में विषय का कार्य सौंदर्यानुभूति को जागृत करना मात्र है। यथार्थवाद में वस्तु के नैसर्गिक वर्ण का विचार करके रंगांकन किया जाता है जबकि प्रभाववाद में प्रकाश एवं वातावरण के प्रभाव के साथ रंगों के नैसर्गिक सौंदर्य की भी विचार था। एडवर्ड माने ने सुंदर रंग योजना व स्पष्ट तूलिका संचालन जैसे गुणों का विकास करके अपने अंतिम वस्तु निरपेक्ष सौंदर्य से परिपूर्ण चित्र बनाए, जो प्रभाववाद की आधुनिक कला की देन है। | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} |
Revision as of 12:32, 23 January 2018
|