प्रयोग:दीपिका3: Difference between revisions
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-सर्वव्यापक प्रकृति | -सर्वव्यापक प्रकृति | ||
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | ||
||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में | ||दबाव समूह की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह राजनीति एवं प्रशासन में परोक्ष भूमिका निभाता है। | ||
{नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में कौन-सी घटना सहायक है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-130,प्रश्न-12 | {नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में कौन-सी घटना सहायक है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-130,प्रश्न-12 | ||
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-ड्वाइट वाल्ड द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस', 1971 | -ड्वाइट वाल्ड द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस', 1971 | ||
+उपर्युक्त सभी | +उपर्युक्त सभी | ||
||नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी | ||नवीन लोक प्रशासन के उदय एवं विकास में सार्वजनिक सेवाओं संबंधी उच्च शिक्षा पर हनी प्रतिवेदन, 1967 मिन्नोब्रुक सम्मेलन, 1968 तथा ड्वाइड वाल्डो द्वारा संपादित पुस्तक 'पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन ए टाइम ऑफ़ टर्बुलेंस, 1971 विशेष रूप से सहायक हैं। | ||
{नाटो (एन.टी.ओ.) का मुख्यालय स्थित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-21 | {नाटो (एन.ए. टी.ओ.) का मुख्यालय स्थित है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-21 | ||
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+ब्रुसेल्स में | +ब्रुसेल्स में | ||
Line 37: | Line 37: | ||
-उपर्युक्त में से कोई भी नहीं | -उपर्युक्त में से कोई भी नहीं | ||
|| | ||नाटो (NATO- North Atlantic Treaty Organization) एक सैन्य संगठन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को उत्तर अटलांटिक संघि पर हस्ताक्षर के साथ हुई। नाटो का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। इस संगठन के अंतर्गत सामूहिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग के लिए सहमत होंगे। वर्तमान में 28 राज्य इसके सदस्य सदस्य हैं। | ||
{नौकरशाह की नियुक्ति का आधार है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-42 | {नौकरशाह की नियुक्ति का आधार है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-42 | ||
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+गैल्ब्रेथ | +गैल्ब्रेथ | ||
- | -मैकफ़र्सन | ||
-कींस | -कींस | ||
-रूजवेल्ट | -रूजवेल्ट | ||
Line 63: | Line 63: | ||
||अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का प्रतिपादन राजनीतिक क्षेत्र में कार्ल मार्क्स द्वारा किया गया। 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत' (Theory of Surplus Value) मूलत: रिकार्डो के 'मूल्य का श्रम सिद्धांत' (Labour Theory of value) से प्रभावित है। मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत रिकार्डो के सिद्धांत का ही व्यापक रूप है। इसलिए रिकार्डो को अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का जनक माना जाता है। मार्क्स के अनुसार, "अतिरिक्त मूल्य उन दो मूल्यों का अंतर है जिसे एक मजदूर पैदा करता है और जो वह वास्तव में पाता है।" | ||अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का प्रतिपादन राजनीतिक क्षेत्र में कार्ल मार्क्स द्वारा किया गया। 'अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत' (Theory of Surplus Value) मूलत: रिकार्डो के 'मूल्य का श्रम सिद्धांत' (Labour Theory of value) से प्रभावित है। मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत रिकार्डो के सिद्धांत का ही व्यापक रूप है। इसलिए रिकार्डो को अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत का जनक माना जाता है। मार्क्स के अनुसार, "अतिरिक्त मूल्य उन दो मूल्यों का अंतर है जिसे एक मजदूर पैदा करता है और जो वह वास्तव में पाता है।" | ||
{ | {परंपरागत संप्रभुता के विचार का बहुलवादी विरोध करते हैं क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-26,प्रश्न-23 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+दूसरे संगठन उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितना कि राज्य | +दूसरे संगठन उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितना कि राज्य | ||
Line 85: | Line 85: | ||
-एच.जे. लास्की का | -एच.जे. लास्की का | ||
-अर्नेस्ट बार्कर का | -अर्नेस्ट बार्कर का | ||
||लॉर्ड एक्टन ने स्वतंत्रता | ||लॉर्ड एक्टन ने स्वतंत्रता और समानता को एक-दूसरे का विरोधी माना है। इसके अतिरिक्त फ्रांसीसी विचारक अलेक्सी द टाकवील स्वतंत्रता व समानता को एक-दूसरे का विरोधी मानते हुए लिखते हैं कि "लोकतंत्र का विस्तार समानता को जितना बढ़ावा देता है, स्वतंत्रता के लिए उटना ही बड़ा खतरा पैदा कर देता है।" | ||
{द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7 | {द्विसदनवाद निम्नलिखित शासन प्रणालियों में से किस एक ही एक अनिवार्य विशिष्टता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-94,प्रश्न-7 | ||
Line 98: | Line 98: | ||
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-अनिश्चित कार्यकाल | -अनिश्चित कार्यकाल | ||
+प्रशासन में | +प्रशासन में परोक्ष भूमिका | ||
-सर्वव्यापक प्रकृति | -सर्वव्यापक प्रकृति | ||
-संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग | -संवैधानिक साधनों का आवश्यक रूप से प्रयोग |
Revision as of 12:33, 28 January 2018
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