अभयाकर गुप्त: Difference between revisions

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Revision as of 08:35, 29 May 2018

अभयाकर गुप्त भारत और तिब्बत में प्रसिद्ध तांत्रिक बौद्ध आचार्य थे जिनका समय डा. विनयतोष भट्टाचार्य के अनुसार 1084-1130 ई. है। ये तिब्बती भाषा में निपुण थे और इन्होंने उसमें अनेक भारतीय ग्रंथों का अनुवाद भी किया। डा. भट्टाचार्य इन्हें बंगाल में उत्पन्न, मगध में शिक्षित और विक्रमशिला विहार में प्रसिद्ध मानते हैं। डा.पी.एन. बोस इन्हें रामपाल का समकालीन मानते हैं। तेंजूर से इनके 18 ग्रंथों का पता चलता है जिसमें कालचक्र, चक्रसंवर, अभिषेक, स्वाधिष्ठानक्रम, ज्ञानडाकिनी, महाकाल, बुद्धकपाल, पंचक्रम, वर्ज्यान जैसे विविधि तांत्रिक बौद्ध विषयों का विवेचन किया गया है। इन्होंने अनेक बौद्ध ग्रंथों की टीकाएँ भी लिखी थीं। तेंजूर में इन्हें पंडित, महापंडित, आचार्य, सिद्ध, स्थविर आदि विशेषणों के साथ स्मरण किया गया है। इस ग्रंथ में इन्हें मगधनिवासी कहा गया है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 173 |

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