आदम्स ब्रिज: Difference between revisions
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Latest revision as of 10:19, 12 June 2018
आदम्स ब्रिज लंका के मन्नार द्वीप तथा भारतीय तट के रामेश्वर द्वीप के मध्य दक्षिण पश्चिम में मन्नार की खाड़ी और उत्तर पूर्व में पाक के मुहाने से जुड़ी हुई लगभग 30 मील लंबी बालुकाराशि है जिसे पौराणिक मर्यादा पुरुषोत्तम राम का सेतुबांध भी कहते हैं। इसका कुछ भाग सर्वदा सूखा रहता है और बढ़े हुए जल में भी इस जल की गहराई तीन चार फुट से अधिक नहीं रहती। अत: समुद्री यान इस रास्ते न आकर लंका के दक्षिण से घूमकर जाते हैं। भूगर्भिक प्रमाणों के अनुसार उक्त खंड एक स्थलडमरुमध्य के द्वारा जुड़ा था, परंतु 1840 की प्रचंड आंधी से असंबद्ध हो गया। भूवैज्ञानिक खोजों के अनुसार यहाँ प्रवालीय कृमियाँ कालांतरित भूतलोन्नयन के कारण विनष्ट हो गई और अब प्रवालशिलाओं के रूप में विद्यमान हैं। 1838 में इसे समुद्रीय परिवहन के योग्य बनाने के लिए खोदाई आरंभ की गई, परंतु जहाजों के काम का यह न बन सका। अब भारतीय सरकार तदर्थ सक्रिय है।
रामायण के अनुसार अयोध्या के निर्वासित राजकुमार श्री रामचंद्र जी ने अपनी पत्नी सीता को प्राप्त करने के लिए लंकाधिपति रावण पर आक्रमणार्थ यह सेतु बंधवाया था, जिसके अवशेष इस बालुकाराशि के रूप में विद्यमान हैं। सुप्रसिद्ध रामेश्वरम् मंदिर राम के विजय अभियान का स्मारक है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 367 |