अस्पर्शनम्: Difference between revisions
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*संपर्क का न होना, (किसी चीज के) स्पर्श को लना-प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनम् वरम्-तु. 'इलाज से बचाव अच्छा'।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या= | *संपर्क का न होना, (किसी चीज के) स्पर्श को लना-प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनम् वरम्-तु. 'इलाज से बचाव अच्छा'।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=143|url=|ISBN=}}</ref> | ||
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अस्पर्शनम् (नपुंसक लिंग) [नञ् तत्पुरुष समास]
- संपर्क का न होना, (किसी चीज के) स्पर्श को लना-प्रक्षालनाद्धि पङ्कस्य दूरादस्पर्शनम् वरम्-तु. 'इलाज से बचाव अच्छा'।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 143 |
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