अष्टभुजा शुक्ल: Difference between revisions
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" कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है। ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं "जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है"; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी | " कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है। ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं "जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है"; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं । यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धडकता है । उनके कविता संग्रह "दु: स्वप्न भी आते हैं" की कविताएँ बाजारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच दूर दराज गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं । " | ||
श्री अष्टभुजा शुक्ल को इससे पहले ही ललित निबंध के लिए चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, रायपुर, छत्तीसगढ़) व परिवेश सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है । |
Revision as of 09:07, 16 October 2010
अष्टभुजा शुक्ल का जन्म भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जनपद के दीक्षापार गांव में 1954 में हुआ था । वर्तमान में संस्कृत महाविद्यालय चित्राखोर (बस्ती), उत्तरप्रदेश में अध्यापन कार्य करते हैं । इनके अब तक तीन काव्य संग्रह आ चुके हैं | कविता के अतिरिक्त लिलत निबंधों व पदों की रचना के कारण वे अपनी विशेष पहचान हिन्दी जगत् में बना चुके हैं |
केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा व सचिव, केदार सम्मान समिति नरेंद्र पुंडरीक के बताया है कि कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनके कविता संग्रह "दु:स्वप्न भी आते है" के लिए वर्ष 2009 का केदार सम्मान देने का निर्णय किया गया है । प्रति वर्ष दिया जाने वाला यह चौदहवाँ केदार सम्मान है। इस से पूर्व समकालीन कविता के चर्चित 13 कवियों को केदार सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है । अष्टभुजा शुक्ल का ये संकलन "दु:स्वप्न भी आते हैं" वर्ष 2004 में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है । निर्णय की घोषणा 23 जुलाई 2010 को की गई ।
निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि-
" कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है। ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं "जो खेत में लिख सकता है वही कागज़ पर भी लिख सकता है"; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं । यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धडकता है । उनके कविता संग्रह "दु: स्वप्न भी आते हैं" की कविताएँ बाजारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच दूर दराज गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं । "
श्री अष्टभुजा शुक्ल को इससे पहले ही ललित निबंध के लिए चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, रायपुर, छत्तीसगढ़) व परिवेश सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है ।