गणेश जी की आरती: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 23: | Line 23: | ||
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥ | पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{आरती स्तुति स्त्रोत}} | |||
[[Category:आरती स्तुति स्त्रोत]] | [[Category:आरती स्तुति स्त्रोत]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] | [[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]] |
Revision as of 11:47, 24 December 2010
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जा की पार्वती, पिता महादेवा ॥
एकदन्त दयावन्त चार भुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।|
अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया|
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।|
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥
अन्य सम्बंधित लेख |
'सूर' श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:आरती स्तुति स्तोत्र