बद्री नाथ जी की आरती

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thumb|300|बद्री नाथ जी
Badrinath Ji

पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम |
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम |
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम |
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम |
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम |
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
कैलाश में एक देव निंरजन शैल शिखर महेश्वरम |
राजयुधिष्ठिर करतस्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम |
श्री बद्री जी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम |
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम |

  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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