महाक्षत्रप

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:25, 25 August 2010 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "॰" to ".")
Jump to navigation Jump to search

महाक्षत्रप, क्षत्रप

'क्षत्रप' शब्द का प्रयोग ईरान से शु्रू हुआ । यह राज्यों के मुखिया के लिए प्रयुक्त होता था । दारा (डेरियस या दरियुव्ह) के समय में राज्यपालों के लिए यह उपाधि प्रयुक्त होती थी । यही बाद में महाक्षत्रप कही जाने लगी । भारत में क्षत्रप शब्द आज भी राजनीति में प्रयोग किया जाता है ।

शकों की संयुक्त शासन- प्रणाली में वरिष्ठ शासक को “महाक्षत्रप’ की उपाधि मिलती थी तथा अन्य कनिष्ठ शासक 'क्षत्रप’ कहे जाते थे । पश्चिमी क्षत्रपों के मिले सिक्कों से पता चलता है कि “महाक्षत्रप- उपाधि’ सबको नहीं मिलती है ।


इनकी दो शाखाएं थीं और दोनों का आरंभ शक आक्रमणकारियों के सरदारों ने किया।

  • एक शाखा थी पश्चिमी क्षत्रपों की। ये महाराष्ट्र में थे और कदाचित इनकी राजधानी नासिक थी। इसका सबसे प्रतापी राजा नैहपान था। सातवाहन शासक गौतमी पुत्र सातकर्णी ने इसे परास्त किया।
  • दूसरी शाखा उज्जैयनी के महाक्षत्रपों की थी। इस शाखा ने 130 ई. से 388 ई. तक राज्य किया। यह राजवंश शीघ्र ही अपना विदेशीपन छोड़कर भारतीय बन गया। इन्होंने हिन्दू धर्म ग्रहण किया और संस्कृत को अपनी राजभाषा बनाया।

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः