अपनी आज़ादी को हम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 06:30, 7 January 2012 by गोविन्द राम (talk | contribs) (अपनी आजादी को हम का नाम बदलकर अपनी आज़ादी को हम कर दिया गया है)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं

हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है
सैंकड़ों कुर्बानियाँ देकर ये दौलत पाई है
मुस्कुरा कर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियां
कितने वीरानो से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है
ख़ाक में हम अपनी इज्ज़़त को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं...

क्या चलेगी ज़ुल्म की अहले-वफ़ा के सामने
आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने
लाख फ़ौजें ले के आए अमन का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं...

वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएंगे
हर क़दम पर ज़िन्दगी का रुख बदलते जाएंगे
’गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दारे वतन
अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जाएंगे
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं...

हम वतन के नौजवाँ है हम से जो टकरायेगा
वो हमारी ठोकरों से ख़ाक में मिल जायेगा
वक़्त के तूफ़ान में बह जाएंगे ज़ुल्मो-सितम
आसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहरायेगा
जो सबक बापू ने सिखलाया भुला सकते नहीं
सर कटा सकते है लेकिन सर झुका सकते नहीं...

  • फिल्म : लीडर
  • संगीतकार :
  • गायक :
  • रचनाकार : शकील बदायूनी



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः