प्रयोग:Janmejay7
आज जाने की ज़िद न करो
यूँही पहलू में बैठे रहो
हाय, मर जायेंगे
हम तो लुट जायेंगे
ऐसी बातें किया न करो
तुम ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें?
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जाँ
बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की...
वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरी, जान-ए-जाँ
उम्र भर न तरसते रहो
आज जाने की...
कितना मासूम रंगीन है ये समा
हुस्न और इश्क़ की आज मेराज[1] है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ
रोक लो आज की रात को
आज जाने की...