छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-7

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  • इसी प्रकार प्राणों (इन्द्रियों) में श्रेष्ठता के क्रम से साम की पंचविध उपासना करनी चाहिए।
  • ऐसा करके साधक श्रेष्ठतर जीवन प्राप्त करता है।


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