राष्ट्रीय कबीर सम्मान

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मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग ने साहित्य और सृजनात्मक कलाओं में उत्कृष्टता तथा श्रेष्ठता को सम्मानित करने, साहित्य और कलाओं में राष्ट्रीय मानदण्ड विकसित करने के लिए 'अखिल भारतीय सम्मानों' और राज्य स्तरीय सम्मानों की स्थापना की है। उत्कृष्टता और सृजन को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने भारतीय कविता के लिए राष्ट्रीय कबीर सम्मान की स्थापना की है। महान संत कवि कबीर ने सदियों पहले रचनाएँ की और समाज को नयी निर्भीकता दी थ। भारत में वे आज भी सबसे लोकप्रिय कवि हैं। इस सम्मान के अंतर्गत एक लाख पचास हज़ार रुपये की राशि और सम्मान पट्टिका भेंट की जाती है। राष्ट्रीय कबीर सम्मान

क्रम नाम समय
1. श्री गोपाल कृष्ण अडिग 1986-87
2. श्री सुभाष मुखोपाध्याय 1987-88
3. डॉ. हरभजन सिंह 1988-89
4. श्री शमशेर बहादुर सिंह 1989-90
5. श्री विन्दा करन्दीकर 1990-91
6. श्री हरिन्द्र दवे 1991-92
7. श्री रमाकान्त रथ 1992-93
8. श्री नवकान्त बरुआ 1995-96
9. श्री के. अय्यप्पा पणिक्कर 1996-97
10. श्री शंखो घोष 1997-98
11. श्री सीतांशु यशस्वन्द्र 1998-99
12. श्री नारायण सुर्वे 1999-00
13. श्री सीताकान्त महापात्र 2000-01
14. श्री कुंवर नारायण 2001-02
15. डॉ. चन्द्रशेखर कम्बार 2002-03
16 श्री ए. रहमान राही 2003-04
17. श्री गोविन्द चन्द्र पाण्डे 2004-05
18. श्री अशोक बाजपेयी 2005-06
19. श्री अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी 2006-07
20. डा. पदमा सचदेव 2007-08

असाधारण सृजनात्मकता, उत्कृष्टता और दीर्घ साधना के निरपवाद सर्वोच्च मानदण्डों को राष्ट्रीय कबीर सम्मान के लिए निश्चित किया गया है। चयन की निश्चित प्रक्रिया है। सभी स्तरों पर विशेषज्ञों की हिस्सेदारी है औरयह ध्यान रखा जाता है कि एक ओर साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में व्यापक मतसंग्रह संदर्भ के लिए उपलब्ध रहे वहीं सम्मान दिये जाने वाले कवि का चयन निष्ठा और विवेक वाले विशेषज्ञ पूरी निष्पक्षता, वस्तुपरकता और निर्भयता के साथ ऐसे मानदण्डों के आधार पर करते हैं जो जीवन-दृष्टि, कलानुशासन और सौन्दर्य बोध पर आश्रित हों।

चयन प्रक्रिया में संस्कृति विभाग सभी भारतीय भाषाओं के कवियों, साहित्यकारों, समीक्षकों और साहित्यिक संस्थाओं आदि से उनके रचनात्मक वैशिष्ट्य, ज्ञान और साहित्य का ज्ञान लेते हुए सम्मान के लिए उपयुक्त कवियों के नामांकन का अनुरोध करता है। यह नामांकन विशेषज्ञों की चयन समिति के सामने अंतिम निर्णय के लिए रखे जाते हैं। इस समिति में राष्ट्रीय ख्याति के साहित्यकार और विशेषज्ञ होते हैं। चयन समिति को यह स्वतंत्रता रहती है कि यदि कोई नाम छूट गया हो तो अपनी तरफ से उसे जोड़ लें। राज्य शासन ने चयन समिति की अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी माना है और सदैव निरपवाद रूप से इसका पालन भी किया है।


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