अनुभवातीत ध्यान

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:12, 16 March 2012 by गोविन्द राम (talk | contribs) (''''अनुभवातीत ध्यान''' महर्षि महेश योगी द्वा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अनुभवातीत ध्यान महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित आंदोलन है, जो 1960 के दशक में पश्चिम में लोकप्रिय हुआ। यह आंदोलन धार्मिक या दार्शनिक मान्यताओं के बजाय ध्यान की विशिष्ट तकनीकों पर आधारित है। एक मठवासी के रूप में महर्षि ने भारत में 1940 तथा 1950 के दशक में ध्यान के एक स्वरूप का विकास किया, जिसे आधुनिक विश्व के लोग आसानी से अपना सकते थे। 1958 में उन्होंने भारत में उपदेश देना शुरु किया तथा 1959 में उन्होंने पश्चिम की पहली यात्रा की।

अनुभवातीत ध्यान से अभिप्राय

अनुभवातीत ध्यान में संस्कृत के विविध मंत्रों में से एक का उपयोग होता है, जिनमें से प्रत्येक एक लघु शब्द या शब्दखंड है। इसे मन में दोहराए जाने पर मनुष्य को विचार प्रक्रिया को शांत करने और चेतना के गहन स्तर को प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे आंतरिक हर्ष, जीवनशक्ति और सृजनात्मकता में वृद्धि होती है। महर्षि के अनुसार, अनुभवातीत ध्यान के वेदांत दर्शन पर आधारित संदर्श को सृजनात्मक बुद्धिमता का विज्ञान कहा जाता है।

उद्देश्य

अनुभवातीत ध्यान के लिए व्यक्ति को गुरु से दीक्षा लेना आवश्यक है। इसमें औपचारिक निर्देश के सत्र भी शामिल है। इनके बाद एक समारोह होता है, जिसमें प्रत्याशी धन तथा अन्य चढ़ाया अर्पित करके वह मंत्र प्राप्त करता है, जिसका चयन उसका गुरु उसके स्वभाव और पेशे के अनुरूप करता है। इसके बाद लगातार तीन परीक्षण सत्र होते हैं, जिनमें व्यक्ति अपने गुरु की देखरेख में ध्यान लगाता है। इसके बाद वह प्रतिदिन दो बार, 20-20 मिनट के लिए स्वतंत्र रूप से ध्यान लगाना शुरु करता है और अनिश्चित काल तक ऐसा रहता है। इसके बाद के स्तर का भी प्रशिक्षण उपलब्ध है। अनुभवातीत ध्यान शरीर तथा मन के लिए विश्रामदायक और शक्ति प्रदान करने वाला प्रतीत होता है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः