धर्मगुप्तक निकाय
परमार्थ के मतानुसार इस निकाय के प्रवर्तक महामौद्गलयायन के शिष्य स्थविर धर्मगुप्त थे। प्रिलस्की और फ्राउवाल्नर का कहना है कि ये धर्मगुप्त यौनक धर्मरक्षित से अभिन्न हैं।
परमार्थ के मतानुसार इस निकाय के प्रवर्तक महामौद्गलयायन के शिष्य स्थविर धर्मगुप्त थे। प्रिलस्की और फ्राउवाल्नर का कहना है कि ये धर्मगुप्त यौनक धर्मरक्षित से अभिन्न हैं।