विद्युत प्रकाशिकी प्रणाली प्रयोगशाला (लियोस)

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विद्युत प्रकाशिकी प्रणाली प्रयोगशाला उपग्रहों तथा प्रमोचन यानों के लिए विद्युत-प्रकाशिकी संवेदकों तथा कैमरा प्रकाशिकी की अभिकल्‍पना, विकास और उत्‍पादन में कार्यरत है। संवेदकों में तारा सूचक, भू संवेदक, सौर संवेदक और इलैक्‍ट्रॉनिक प्रक्रमण सम्मिलित है।

प्रकाशिक प्रणालियाँ

विद्युत प्रकाशिकी प्रणालियों में शामिल हैं- सुदूर संवेदन और मौसम विज्ञानीय नीतभारों के लिए, परावर्ती और अपवर्तन दोनों प्रकाशिकी। लियोस द्वारा आंतरिक प्रयोग के लिए विकसित अन्‍य प्रकाशिकी अवयवों में सम्मिलित हैं, तारा संवेदक के लिए प्रकाशिकी, लूनार लेज़र रेंजिंग उपकरण (एल.एल.आर.आई.) के लिए प्रकाशिकी, सूर्य संवेदकों के लिए प्रकाशिकी आवरण, प्रकाशिकी फ़िल्‍टर और कोडक।

नई प्रौद्योगिकी का विकास

लियोस वर्तमान भावी उपग्रहों के लिए नई प्रौद्योगिकी विकसित करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। इसमें सम्मिलित है- सक्रिय चित्रांश संवेदी तारा सूचक, आवेश युग्‍मी उपकरण (सी.सी.डी.) आधारित तारा सूचक, तंतु प्रकाशिकी जायरो, प्रकाशिकी अंतर उपग्रह लिंक, अति विभेदी कैमरा प्रकाशिकी, एम.ई.एम.एस. उपकरण (चुम्‍बकत्वमापी और त्‍वरणमापी आदि)। लियोस पीन्‍या औद्योगिक एस्टेट, बेंगलूर में स्थित है, जहाँ 1975 में भारत के प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट का निर्माण किया गया था।


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