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भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

border|right|100px|link=घूँघट से मरघट तक -आदित्य चौधरी

घूँघट से मरघट तक

छोटे पहलवान: "एक किलो मैदा में कितनी कचौड़ी निकाल रहे हो ?"
हलवाई: "एक किलो में ! अठारह निकाल रहा हूँ... क्यों क्या हो गया ?" हलवाई ने ऐसे व्यंग्यपूर्ण मुद्रा में आश्चर्य व्यक्त किया जैसे जहाज़ चलाते हुए पायलॅट से कोई साधारण यात्री कॉकपिट में जाकर हवाई जहाज़ चलाने के बारे में सवाल कर रहा हो।"
छोटे पहलवान: "अठारह ? ये क्या कर रहे हो यार ? एक किलो मैदा में अठारह कचौड़ी ?" छोटे पहलवान ने आश्चर्य व्यक्त किया और हलवाई को कचौड़ियों का गणित स्कूल के हैडमास्टर की तरह विस्तार से समझाया। ...पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख कुछ तो कह जाते शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र हिन्दी के ई-संसार का संचार