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कमलादास गुप्ता (अंग्रेज़ी: Kamaladas Gupta, जन्म: 11 मार्च, 1907 ढाका ज़िला बंगलादेश; मृत्यु: 19 जुलाई, 2000) बंगाल की प्रसिद्ध क्रांतिकारी थी। यह गांधीजी के विचारों से प्रभावित थी 1933 से 1936 तक का समय इन्हें जेल या नजरबंदी में बिताना पड़ा।

परिचय

कमलादास गुप्ता का जन्म 11 मार्च, 1907 ई. को ढाका ज़िले में हुआ था, पर बाद में इनके पत्रकार पिता सुरेन्द्रनाथ दास गुप्ता कोलकाता आकर रहने लगे थे। बी.ए.की परीक्षा पास करने तक कमलादास गुप्ता का व्यवहार अपनी वय की सामान्य लड़कियों के समान ही था। परंतु इसके बाद उनके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हो गई।

क्रांतिकारी जीवन

कमलादास गुप्ता गांधीजी के विचारों से प्रभावित थी और उनके साबरमती आश्रम में जाना चाहती थी। परंतु माता-पिता ने इसकी अनुमति नहीं दी लेकिन तभी इनका संपर्क बंगाल के क्रांतिकारीयों से हो गया। यह 'युगांतर पार्टी' में सम्मिलित हो गयी। कमलादास गुप्ता घर में रहकर पार्टी की गुप्त गतिविधियों में संलग्न होना कठिन देखकर 1930 में घर छोड़कर चली गई। इसके बाद इनका गिरफ्तारी और छूटने का सिलसिला शुरू हो गया। 1930 में कमला गिरफ्तार की गई परंतु पुष्ट प्रमाण न होने के कारण रिहा हो गई। बंगाल के गवर्नर पर गोली चलाने वाली बीना दास को पिस्तौल कमला ने ही उपलब्ध कराई थी। पक्के प्रमाण न मिलने के कारण गिरफ्तार करने के बाद फिर से इन्हें छोड़ दिया गया। 1933 से 1936 तक का समय इन्हें जेल या नजरबंदी में बिताने पड़े। 1938 में जब दासता के विरुद्ध आंदोलन में क्रांतिकारी भी कांग्रेस के साथ मिल गए तो कमलादास गुप्ता भी कांग्रेस में सम्मिलित हो गई। 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भी यह जेल गई।

समाज सेवा

कमलादास गुप्ता राजनीति के साथ-साथ समाज सेवा के कार्यों में भी बहुत रुचि थी। सांप्रदायिक दंगों से पीड़ितों की इन्होंने बहुत सहायता की। 1946 में जिस समय गांधीजी ने दंगा पीड़ित नोआखाली की पैदल यात्रा की वहां सहायता कार्य की प्रमुख कार्यकर्ता कमला ही थी। महिलाओं को आजीविका की सुविधा प्रदान करने के उद्देध्य से इन्होंने महिला शिल्प कला केंद्रों की स्थापना की थीं। इन सब कामों के अतिरिक्त कमलादास गुप्ता को पत्रकारिता और साहित्य में भी रुचि थी।

निधन

कमलादास गुप्ता का निधन 19 जुलाई, 2000 को हो गया।