छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-16
- छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरा का यह सोलहवाँ खण्ड है।
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- वसन्त ऋतु में वैराज साम को अधिष्ठित मानकर उपासना करने से सुसन्तति, पशु-सम्पदा और ब्रह्मतेज प्राप्त होता है।
- अत: ऋतुओं की कभी निन्दा नहीं करनी चाहिए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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