पृथ्वी-2 मिसाइल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 21:25, 4 October 2011 by DrMKVaish (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

पृथ्वी-2 मिसाइल

पृथ्वी-2 मिसाइल
  • भारत ने देश में ही विकसित परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल विकसित किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ द्वारा विकसित इस पहली स्वदेश निर्मित मिसाइल को 26-09-2011 में तटीय उड़ीसा के बालासोर से करीब 15 किलोमीटर दूर चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से एक मोबाइल लांचर की मदद से सुबह नौ बजे दागा गया जो पूरी तरह सफल रहा था। और इसने पूर्व निर्धारित मार्ग का अनुसरण करते हुए बंगाल की खाडी में स्थित पूर्व निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक बेधा। एंडी बैलेस्टिक मिसाइलों को छकाने में सक्षम पृथ्वी में उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली लगी हुई है और यह अचूक निशाना साध सकती है।
  • आईटीआर के निदेशक एस.पी. दास ने बताया कि मिसाइल के प्रक्षेपण की सटीकता जांचने के लिए तट पर स्थित राडारों और इलेक्ट्रो आपटिक्ल प्रणालियों के द्वारा प्रक्षेपण पथ पर नजर रखी गई। उन्होंने बताया कि प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा। आईटीआर सूत्रों के अनुसार युद्ध के दौरान पृथ्वी-2 का इस्तेमाल सुनियोजित हथियार के रूप में किया जा सकता है। यह मिसाइल 350 किलोमीटर दूरी तक 500 से 1000 किलोग्राम आयुद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है। सूत्रों के अनुसार मिसाइल विकसित करने के विभिन्न चरणों के तहत पांच मिसाइलों में से पृथ्वी एक है और इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम आईजीएमडीपी का एक हिस्सा है।
  • सूत्रों के अनुसार पृथ्वी-2 देशी सेटेलाइट लांच व्हीकल-3, एसएलवी-3 का ही परिवर्तित रूप है जिसमें द्रव्य प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है और इस मिसाइल के सभी महत्वपूर्ण कलपुर्जे स्वदेश निर्मित हैं। पृथ्वी-2 की लंबाई नौ मीटर और व्यास एक मीटर है। यह दो इंजनों की मदद से आगे बढ़ती है और इसमें तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है। मध्यम दूरी की यह मिसाइल 483 सेकंड की अवधि तक उड़ान भरने के साथ 43.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है।
  • थलसेना द्वारा बतौर उपयोगकर्ता पूर्व में किए गए परीक्षणों के दौरान प्राप्त नियमित परिणामों के साथ ही यह मिसाइल उस सटीकता पर पहुंच चुकी है जहां कोई चूक होने की आशंका नहीं के बराबर होती है। इस मिसाइल में किसी भी एंटी-बैलास्टिक मिसाइल को झांसा दे कर निशाना साधने की क्षमता है। सूत्रों के मुताबिक पहला पृथ्वी मिसाइल परीक्षण आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित रॉकेट लांचिंग सेंटर से 22 फरवरी 1998 को किया गया था और इसके बाद आईटीआर से कई परीक्षण किए जा चुके हैं। सशस्त्र बलों के परिचालन अभ्यासों के तहत दो पृथ्वी-2 मिसाइलों को 12 अक्टूबर 2009 को कुछ ही मिनटों के अंतराल में एक-एक कर दागा गया था। इन मिसाइलों ने चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण रेंज से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो विभिन्न लक्ष्यों को निशाना बनाया था। इस मिसाइल का साल्वो मोड में 27 मार्च और 18 जून 2010 को चांदीपुर से परीक्षण किया गया तब इसने एक बार फिर अपनी सटीकता साबित की। 26-09-2011 में पृथ्वी-2 मिसाइल का आठ महीने के भीतर चौथा सफल परीक्षण था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः