बखिरा पक्षी अभयारण्य

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बखिरा झील, संतकबीर नगर जनपद के मुख्यालय खलीलाबाद से लगभग बीस किमी. की दूरी पर स्थित 28.94 किमी. क्षेत्रफल में फैले है। इतिहास के पन्नों में मोतीझील के नाम से अंकित बखिरा झील को 14 मई 1990 को शासन ने अधिसूचना जारी करते हुए बखिरा पक्षी विहार का दर्जा प्रदान किया था। तभी से झील में पक्षियों का शिकार प्रतिबंधित कर दिया गया है। शासन की मंशा थी दूर देश से आए सैलानियों के प्राणों की रक्षा व पर्यटकीय दृष्टि से इस स्थान को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करवाना।

जानकारों का कहना है कि 2894 हेक्टेयर क्षेत्रफल (परिधि) में फैले बखिरा झील में 1819.91 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की, 1059.14 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि किसानों की (1024 एकड़ भूमि स्थानीय कास्तकारों) तथा 15.16 हेक्टेयर भूमि वन विभाग यानि आरक्षति भूमि शामिल है। यहां पर पूरे वर्ष पानी भरा रहता है जिसके चलते जलीय वनस्पतियां, छोटे-छोटे कीड़े, घोंघे व सीप आदि के चलते यूरोप, साइबेरिया, तिब्बत, चीन देशों से पक्षियां आती हैं। इस झील को वर्ष 1997 में अलग रेंज घोषित किया गया जिसके चलते इसका दायित्व सोहगीबरवा क्षेत्र में आ गया।

बखिरा पक्षी विहार में दीवाली से होली तक प्रवासी और अप्रवासी पक्षियों की किलकारियां पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। सर्दी का मौसम बिताने के बाद प्रवासी पक्षी अपने वतन को लौट जाते हैं।

देशी-विदेशी पक्षी
  • विदेशी पक्षियां : लालसर, हिवीसिल, कोचार्ड, सूरखाल, गोजू, सवल, पिण्टेल आदि।’
  • स्थायी प्रवासी पक्षियां: कैमा, वाटरहेन, राईटर, कारमोरेन्ट, विभिन्न प्रजाति के बगूले, सारस, आदि।



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