अनंत लक्ष्मण कन्हेरे

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:49, 25 March 2012 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''अनंत लक्ष्मण कन्हेरे''' (जन्म- 1891 ई., मृत्यु- [[11 अप्रैल]...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अनंत लक्ष्मण कन्हेरे (जन्म- 1891 ई., मृत्यु- 11 अप्रैल, 1910 ई.) को देश की आज़ादी के लिए शहीद होने वाले युवाओं में गिना जाता है। 1909 ई. में सरकार के ख़िलाफ़ एक लेख लिखने के कारण गणेश सावरकर को आजन्म कारावास की सज़ा हुई। अंग्रेज़ सरकार के इस फैसले से क्रांतिकारियों में उत्तेजना पैदा हो गई। प्रतिशोध की भावना से प्रेरित होकर अनंत लक्षण कन्हेरे ने 21 दिसम्बर, 1909 ई. को नासिक के ज़िला अधिकारी जैक्सन को गोली मार दी। बाद में कन्हेरे पकड़ लिये गए और 19 वर्ष की अवस्था में 11 अप्रैल, 1910 ई. को उन्हें फाँसी दे दी गई।

जन्म तथा शिक्षा

शहीद अनंत लक्ष्मण कन्हेरे का जन्म 1891 ई. में इंदौर में हुआ था। उनके पूर्वज महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के निवासी थे। अनंत की आरम्भिक शिक्षा इंदौर में हुई और फिर आगे की शिक्षा के लिए वे अपने मामा के पास औरंगाबाद चले गए।

क्रांतिकारी जीवन

उस समय भारत की राजनीति में दो विचारधाराएँ स्पष्ट रूप से उभर रही थीं। एक ओर कांग्रेस अपने प्रस्तावों के द्वारा भारतवासियों के लिए अधिक से अधिक अधिकारों की मांग कर रही थी और अंग्रेज़ सरकार इन मांगों की उपेक्षा करती जाती थी। दूसरी ओर क्रान्तिकारी विचारों के युवक थे, जो मानते थे कि सशस्त्र विद्रोह के जरिये ही अंग्रेज़ों की सत्ता उखाड़ी जा सकती है। जब हिन्दू और मुस्लिमों में मतभेद पैदा करने के लिए सरकार ने 1905 में बंगाल का विभाजन कर दिया तो क्रान्तिकारी आन्दोलन को इससे और भी बल मिला। महाराष्ट्र में 'अभिनव भारत' नाम का युवकों का संगठन बना और अखाड़ों के माध्यम से वे क्रान्ति की भावना फैलाने लगे। विनायक सावरकर और गणेश सावरकर इस संगठन के प्रमुख व्यक्ति थे। अनन्त लक्ष्मण कन्हेरे भी इस मंडली में सम्मिलित हो गये।

अंग्रेज़ जैक्सन की हत्या

1909 में विदेशी सरकार के विरुद्ध सामग्री प्रकाशित करने के अभियोग में जब गणेश सावरकर को आजन्म कारावास की सज़ा हो गई तो क्रान्तिकारी और भी उत्तेजित हो उठे। उन्होंने नासिक के ज़िला अधिकारी जैक्सन का वध करके इसका बदला लेने का निश्चय कर लिया। कन्हेरे ने इस काम करने का जिम्मा अपने ऊपर लिया। पिस्तौल का प्रबंध हुआ और 21 दिसम्बर, 1909 को जब जैक्सन एक मराठी नाटक देखने के लिए आ रहा था, तभी कन्हेरे ने नाट्य-गृह के द्वार पर ही उसे अपनी गोली का निशाना बनाकर ढेर कर दिया।

शहादत

इसके बाद गिरफ्तारियाँ हुईं और दो मुकदमे चले। जैक्सन की हत्या के मामले में अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, कर्वे और देशपाण्डे को फ़ांसी की सज़ा हुई। दूसरे मुकदमें में राजद्रोह फैलाने के अभियोग में 27 लोगों को सज़ा मिली, जिनमें विनायक सावरकर को आजन्म क़ैद की सज़ा हुई। अनंत लक्ष्मण कन्हेरे 11 अप्रैल, 1910 को 19 वर्ष की उम्र में फ़ांसी पर लटा दिये गए। इतनी छोटी-सी आयु में ही शहीद होकर भारत माँ के इस लाल ने इतिहास में अपना अमर कर लिया।  

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 22 |


संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः