हे दयालु ले शरण में -शिवदीन राम जोशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:39, 2 June 2012 by Kailash Pareek (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"

आपको नया न्ना बनाने के लिए यह आधार दिया गया है

शीर्षक उदाहरण 1

हे दयालु ले शरण मेँ=शिवदीन राम जोशी

शीर्षक उदाहरण 3

शीर्षक उदाहरण 4
हे दयालू ! ले शरण में, मोहे क्यो बिसारयो ।
जुठे बेर सबरी के, पाय काज सारयो ।। हे दयालू ...
द्रोपदी की रखि लाज, कोरव दल गयो भाज।
पांडवों की कर सहाय, अरजुन को उबारयो ।।हे...
रक्षक हो भक्तन का, किया संग संतन का ।
तारन हेतु मुझको, तुम संत रूप धारयो ।। हे...
नरसी का भरा भात, विप्रन के श्रीकृष्ण नाथ ।
दुष्टन को गर्व गार, रावण को मारयो ।।हे दयालू ..
शिवदीन हाथ जोडे, दुनियां से मुख: मोडे ।
ध्रुव को ध्रुव लोक अमर, भक्त जानि तारयो ।। हे...      

<poem>



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः