सिंहासन बत्तीसी तेरह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:41, 1 October 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "चीजें " to "चीज़ें ")
Jump to navigation Jump to search

एक बार राजा विक्रमादित्य शिकार खेलने जंगल में गया। बहुत-से मुसाहिब भी उसे साथ थे। जंगल में जाकर शिकार के लिए तैयारी हुई। जानवर घिर-घिरकर आने लगे। इसी बीच राजा की निगाह एक परिंदे पर पड़ी। उसने बाज छोड़ा और स्वयं घोड़े पर सवार होकर उसे देखता हुआ चला। चलते-चलते कोसो निकल गया। शाम होने को हुई तब उसे पता चला कि उसके साथ कोई नहीं है। चारों ओर घना जंगल था। रात होने पर राजा ने घोड़े को एक पेड़ से बांध दिया और उसकी जीन बिछाकर बैठ गया। तभी उसने देखा कि पास में जो नदी है, वह बढ़ती आ रही है। राजा पीछे हट गया। नदी और बढ़ आयी। उसी समय उसने देखा कि धार में एक मुर्दा बहा आ रहा है और उस पर एक योगी और एक वेताल खींचातानी कर रहे हैं। वेताल कहता था कि मैं इसे हज़ार कोस से लाया हूँ। सो मैं खाऊँगा। योगी कहता था कि मैं इस पर अपना मंत्र साधूँगा। जब झगड़ा किसी तरह नहीं निबटा तो उनकी निगाह राजा पर पड़ी। वे उसके पास आये और सब हाल सुनाकर कहा कि तुम जो फैसला कर दोगे, उसे हम मान लेंगे। राजा ने कहा कि पहले मुझे तुम दोनों कुछ दो, तब न्याय करुँगा। योगी ने हंसकर उसे एक बटुआ दिया और उससे कहा कि तुम जो मांगोगे, वही यह देगा। वेताल ने उसे मोहनी तिलक दिया। कहा कि जब तुम घिसकर इसे माथे पर लगा लोगे तो सब तुमसे दबेंगे, कोई तुम्हारे सामने नहीं ठहर सकेगा।

राजा ने दोनों चीज़ें ले लीं। फिर उसने वेताल से कहा कि तुम्हें अपना पेट भरना है न! तो मेरे घोड़े को खा लो और इस मुर्दे को योगी को दे दो। इस फैसले से दोनों खुश हो गये।

राजा दोनों चीजों को लेकर वहां से चला। अपने नगर के पास पहुंचने पर उसे एक भिखारी मिला।

वहा बोला: महाराज, कुछ दीजिये।

राजा ने बटुआ उसे दे दिया और उसका भेद बता दिया। उसके बाद राजा घर लौट आया।

पुतली बोली: राजन्, इतना दिलवाला कोई हो तो सिंहासन पर बैठे।

दूसरे दिन राजा बड़े तड़के उठा। उसने दीवान को बुलाकर कहा कि आज हम सिंहासन पर जरुर बैठेंगे। सौ गायें दान की गई। ऐन वक्त पर चौदहवीं पुतली त्रिलोचनी ने रोक दिया। राजा ने उठा पैर पीछे खींच लिया।

फिर त्रिलोचनी ने सुनाया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः