इरोम शर्मिला

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इरोम शर्मिला

जन्म कोंगपाल, इम्फाल, मणिपुर

परिवार पिता इरोम नंदा और मां इरोम ओंग्बि सखी

कार्यक्षेत्र एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट, कवयित्री

पुरस्कार रवींद्रनाथ टैगोर शांति पुरस्कार

इरोम को समझना है तो मणिपुर का इतिहास खंगालना होगा और मणिपुर को जानना है तो इरोम की कहानी जाननी होगी। उन्हें "आयरन लेडी ऑव मणिपुर" का खिताब हासिल है। मणिपुर और इरोम की कहानी कुछ यूं है, आजादी के बाद मणिपुर के महाराजा ने मणिपुर को संवैधानिक राजतंत्र घोषित किया, लेकिन कई घटनाक्रमों के बाद 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ और 1958 में नागा आंदोलन सक्रिय हुआ। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक कानून का इस्तेमाल किया जिसे सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून कहा जाता है। सेना को मनमानी की छूट।

सेना के धर पकड़ अभियान में न जाने कितने मासूम लोग भी मारे जाते। सेना के द्वारा चलाए जा रहे एक ऎसे ही अभियान में 1 नवंबर, 2000 में लगभग 9-10 लोग मारे गए। सुबह कत्लेआम की तस्वीरें अखबारों में देख इरोम विचलित हो गईं। न्याय के लिए इरोम ने अनशन का रास्ता चुना। 4 नवंबर 2000 से शुरू हुई उनकी भूख हड़ताल आज तक जारी है। इस साल 4 नवंबर को तेरह साल हो जाएंगे।

इरोम की मांग है कि जब तक सेना के विशेष अधिकार समाप्त नहीं किए जाते, अनशन जारी रहेगा। गांधी के देश में इरोम के अनशन को आत्महत्या का प्रयास मान कुचला जा रहा है।


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