शिकस्त -साहिर लुधियानवी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जीस्त= ज़िंदगी; नाशाद= ग़मग़ीन, उत्साहहीन; हरीरी मलबूस = रेशमा कपड़े का टुकड़ा
- ↑ आरिज़= गाल और होंठों के अंग; शुआ = किरण; गुलशुदा = बुझ चुकी, मृतप्राय; शम्मा = आग
- ↑ तज़दीद = पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना; अफ़सुर्दा = मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई; तसव्वुर =ख़याल, विचार, याद
- ↑ यख़बस्ता = जमी हुई; मुहीत = फैला हुआ; गिराँबार = तनी हुई, कसी हुई; सलासिल = ज़ंजीर; दरमान्दा = असहाय, बेसहारा
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