User talk:डॉ मो मजीद मिया

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युवा शक्ति डॉ. मो. मजीद मिया

आज देश संक्रमण काल से गुजर रहा है। चरो तरफ हत्या, आतंक, अपहरण, बलात्कार, लूट, धम्की, काला बाजारी, अभाव तथा अन्याय बढ़ रही है। आज हमारे देश को नेता नहीं ईमानदार देश चलाने वाले युवकों की जरूरत है। हम साधारणतः देखते हैं कि जब भी जनता किसी नेता को जीता कर सरकार मे भेजती है, तो जनता को उससे बड़ी आशा होती है पर होता कुछ और है,राजनेता पार्टी स्वार्थ से ऊपर नहीं उठ पते और साधारण जनता का शोसन शुरू हो जाता है। समाज को इस कलह बचाने वाला एवं देश परिवर्तन के लिए जन्म लेने वाले भारतीय युवा शक्ति तुम हो सकते हो, तुम सिर्फ नेता नहीं ईमानदार देश चलाने वाले युवा बन सकते हो। भारतीय युवाओं का राजनेतिक इतिहास एवं सच्चाई बहुत बड़ी है। आज देश को भ्रस्टाचार से मुक्ति एवं दिन दहरे लूट से मुक्ति के लिए भारतीय 87 करोड़ जनता, युवा शक्ति से अनुरोध करते हैं कि वह राजनीति मे आएं एवं देश को लूटने से बचाए।

इसके लिए युवा को विवेकी एवं संवेदनशील होना होगा। आज नेताओं द्वारा की गई फिजूल खर्ची एवं मौज मस्ती के नाम पर की गई खर्च ही भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है। यह माहारोग को नियंत्रित करने के लिए हमें (युवा) को अभियान चलानी होगी। भ्रष्ट व्यक्तियो को त्याग कर ईमानदार व्यक्तियों को प्रस्यय देनी की प्रचल की शुरुआत करनी होगी। हमारा विश्वास नेतामुखी नहीं जनतामुखी होना होगा। किसी व्यक्ति द्वारा चलाये जाने वाले संस्था को पारदर्शी बनाने का अभियान चलना होगा। ‘राजनीति पेशा नहीं समाज सेवा है’, इस कथन को उदाहरण बनाना होगा। समाज के पत्रकार एवं उच्च विचार वाले व्यकियों को इस संगठन मे समाहित करना होगा और इसी ज्ञानकोश के सहयोगी एवं सहभागिता से नए भारत के निर्माण का नेतृत्व हमें लेना होगा। इस यात्रा में अनवरत आगे बढ़ने में लाखो भारतियों का सहयोग हमारे साथ है। कुछ लोगों का कहना है कि “खाली पेट से समाज सेवा नहीं होती “ उनसे समाज कोई भी सृजनात्मक उपलब्धि कि आशा नहीं करती, इस सत्य को हम सभी जानते हैं। यदि हम देश एवं जनता के स्वार्थ मे अपने जीवन कि आहुति देने को तैयार हैं, और राजनेता के संवेदनशील चरित्र की कठोर यात्रा शुरू करने को तैयार हैं तो आपको और आपके सहयोगीयों का सम्पूर्ण खर्च – (सामान्य मनुष्य की, नेता की या राजनेता की) जरूरत को भारत मे रहने वाले 87 करोड़ शुभ चिंतक जनता खून–पसीने की कमाई देने को तैयार है। जो प्रत्येक दिन देश की हालत को देखकर रो रहे है।