चतुराई की लोककथा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:20, 18 October 2013 by Dr, ashok shukla (talk | contribs) (' चतुर लड़की एक गरीब आदमी था। ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
                                                             चतुर लड़की

एक गरीब आदमी था। एक दिन वह राजा के पास गया और बोला- 'महाराज, मैं आपसे कर्ज मांगने आया हूं। कृपा कर आप मुझे पांच हजार रुपये दें। मैं पांच वर्ष के अंदर आपके रुपये वापस कर दूंगा।'

      राजा ने उसकी बात पर विश्‍वास कर उसे पांच हजार  रुपये दे दिए। पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी जब उस व्‍यक्ति ने राजा के पांच हजार  रुपये नही लौटाये तब राजा को मजबूरन उसके घर जाना पड़ा। लेकिन वहां वह व्‍यक्ति नही मिला। जब भी राजा वहां जाता बहाना बना कर उसे वापस भेज दिया जाता। एक दिन फिर राजा उस व्‍यक्ति के घर गया। वहां और कोई तो नही दिखा, एक छोटी लड़की बैठी थी। राजा ने उसी से पूछा- 'तुम्‍हारे पिता जी कहा हैं ?'
     लड़की बोली- ' पि‍ताजी स्‍वर्ग का पानी रोकने गये हैं। '
     राजा ने फिर पूछा- 'तुम्‍हारा भाई कहां है ?'
    लड़की बोली- 'बिना झगड़ा के झगड़ा करने गये हैं।'
    राजा के समझ में एक भी बात नही आ रही थी। इसलिए वह फिर पूछता है-' तुम्‍हारी मां कहां है ?'
   लड़की बोली- 'मां एक से दो करने गई है।'
राजा उसके इन ऊल-जुलूल जवाब से खीझ गया। वह गुस्‍से में पूछता है- 'और तुम यहां बैठी क्‍या कर रही हो ?'
     लड़की हंसकर बोली- 'मैं घर बैठी संसार देख रही हूं।'

राजा समझ गया कि लड़की उसकी किसी भी बात का सीधा जवाब नही देगी। इसलिए उसे अब इससे इन बातों का मतलब जानने के लिए प्‍यार से बतियाना पडे़गा। राजा ने चेहरे पर प्‍यार से मुस्‍कान लाकर पूछा- 'बेटी, तुमने जो अभी-अभी मेरे सवालों के जवाब दिये, उनका मतलब क्‍या है ? मै तुम्‍हारी एक भी बात का मतलब नही समझ सका। तुम मुझे सीधे-सीधे उनका मतलब समझाओ।'

   लड़की ने भी मुस्‍करा कर पूछा - 'अगर मैं सभी बातों का मतलब समझा दूं तो आप मुझे क्‍या देंगे ?'

राजा के मन में सारी बातों को जानने की तीव्र उत्‍कंठा थी। वह बोला- 'जो मांगोगी , वही दूंगा ।'

   तब लड़की बोली- 'आप मेरे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर देंगे तो मैं आपको सारी बातों का अर्थ बता दूंगी।'
    राजा ने कहा- 'ठीक है, मैं तुम्‍हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा। अब तो सारी बातों का अर्थ समझा दो।'
    लड़की बोली- 'महाराज, आज मैं आपको सारी बातों का अर्थ नही समझा सकती। कृपा कर आप कल आयें। कल मैं जरूर बता दूगी।'  
   राजा अगले दिन फिर उस व्‍यक्ति के घर गया। आज वहां सभी लोग मौजूद थे। वह आदमी, उसकी पत्‍नी, बेटा और उसकी बेटी भी। राजा को देखते ही लड़की पूछी- 'महाराज, आपको अपना वचन याद है ना ? '
    राजा बोला- 'हां मुझे याद है। तुम अगर सारी बातों का अर्थ बता दो तो मैं तुम्‍हारे पिताजी का सारा कर्ज माफ कर दूंगा।'
   लड़की बोली- 'सबसे पहले मैंने यह कहा था कि पिताजी स्‍वर्ग का पानी रोकने गये हैं, इसका मतलब था कि वर्षा हो रही थी और हमारे घर की छत से पानी चू रहा था। पिताजी पानी रोकने के लिए छत को छा  (बना) रहे थे। यानि वर्षा का पानी आसमान से ही गिरता है और हमलोग तो यही मानते हैं कि आसमान मे ही स्‍वर्ग है। बस, पहली बात का अर्थ यही है। दूसरी बात मैंने कही थी कि भइया बिना झगडा़ के झगड़ा करने गये है। इसका मतलब था कि वे रेंगनी के कांटे को काटने गये थे। अगर कोई भी रेंगनी के कांटे को काटेगा तो उसके शरीर मे जहां-तहां कांटा गड़ ही जायेगा, यानि झगड़ा नही करने पर भी झगड़ा होगा और शरीर पर खरोंचें आयेगी। '
    राजा उसकी बातों से सहमत हो गया। वह मन-ही-मन उसकी चतुराई की प्रशंसा करने लगा। उसने उत्‍सुकता के साथ पूछा- 'और तीसरी-चौथी बात का मतलब बेटी ? '
    लड़की बोली- 'महाराज, तीसरी बात मैंने कही थी कि मां एक से दो करने गई है। इसका मतलब था कि मां रहर दाल को पीसने यानि उसे एक का दो करने गई है। अगर साबुत दाल को पीसा जाय तो एक दाना का दो भाग हो जाता है। यानि यही था एक का दो करना। रही चौथी बात तो उस समय मैं भात बना रही थी और उसमे से एक चावल निकाल कर देख रही थी कि भात पूरी तरह पका है कि न‍ही। इसका मतलब है कि मैं एक चावल देखकर ही जान जाती कि पूरा चावल पका है कि नही । अर्थात चावल के संसार को मैं घर बैठी देख रही थी।' यह कहकर लड़की चुप हो  गई।
    राजा सारी बातों का अर्थ जान चुका था। उसे लड़की की बुद्धिमानी भरी बातों ने आश्‍चर्य में डाल दिया था। फिर राजा ने कहा- 'बेटी, तुम तो बहुत चतुर हो। पर एक बात समझ में नही आई कि यह सारी बातें तो तुम मुझे कल भी बता सकती थी, फिर तुमने मुझे आज क्‍यों बुलाया ?'
     लड़की हंसकर बोली- ' मैं तो बता ही चुकी हूं कि कल जब आप आये थे तो मैं भात बना रही थी। अगर मैं आपको अपनी बातों का मतलब समझाने लगती तो भात गीला हो जाता या जल जाता, तो मां मुझे जरूर पीटती। फिर घर मे कल कोई भी नही था। अगर मैं इनको बताती कि आपने कर्ज माफ कर दिया है तो ये मेरी बात का विश्‍वास नही करते। आज स्‍वयं आपके मुंह से सुनकर कि आपने कर्ज माफ कर दिया है, जहां इन्‍हें इसका विश्‍वास हो जायेगा, वही खुशी भी होगी। '
   राजा लड़की की बात सुनकर बहुत ही प्रसन्‍न हुआ। उसने अपने गले से मोतियों की माला निकाल उसे देते हुए कहा- 'बेटी, यह लो अपनी चतुराई का पुरस्‍कार! तुम्‍हारे पिताजी का कर्ज तो मैं माफ कर ही चुका हूं। अब तुम्‍हे या तुम्‍हारे घरवालों को मुझसे बहाना नही बनाना पड़ेगा। अब तुम लोग निश्चिंत होकर रहो। अगर फिर कभी किसी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक होकर मुझसे कहना।'
    इतना कहकर राजा लड़की को आशीर्वाद देकर चला गया। लड़की के परिवारवालों ने उसे खुशी से गले लगा लिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः