क़दम क़दम बढ़ाये जा

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संक्षिप्त परिचय
  • रचनाकार: राम सिंह ठाकुर

क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से तू कभी न डर
उड़ा के दुश्मनों का सर, जोश-ए-वतन बढ़ाये जा

क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े, तू खाक में मिलाये जा

क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

चलो दिल्ली पुकार के, ग़म-ए-निशाँ संभाल के
लाल क़िले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा

क़दम क़दम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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