हिन्दी विद्यापीठ, देवघर

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हिन्दी विद्यापीठ देवघर में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

राष्ट्र संग्राम में सम्मिलित स्थानीय मनीषियों ने सन् 1929 में हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना की। 20 मई, 1934 को विश्वबंधु महात्मा गांधी ने विद्यापीठ का परिदर्शन किया। देवनागरी लिपि में हिन्दी भाषा का विकास करना और राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित हिन्दी शिक्षा का प्रसार मुख्य उद्देश्य थे। इनकी पूर्ति के लिए 1935 में अपने विद्यालय में कई विभाग – समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, इतिहास एवं गणित तथा भाषाओं में तेलुगु और बंगला के विभाग खोले गए और विद्यालय को गोवर्धन साहित्य महाविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया।

विशेषताएँ

  • विद्यापीठ द्वारा संचालित परीक्षाएँ, प्रवेशिका, साहित्यभूषण और साहित्यालंकार, ये तीन स्तर के पाठ्यक्रम हैं। प्रवेशिका उच्चतर माध्यमिक स्तर के, साहित्य भूषण बी. ए. स्तर के और साहित्यालंकार एम. ए. हिन्दी स्तर के समकक्ष हैं। ये परीक्षाएँ भारत सरकार और अन्य राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त हैं।
  • अध्यापनव्यवस्था को वर्गीकृत कर स्कूली शिक्षा के तीन विद्यालय अलग खोल गए– कुमार विद्यालय (प्रारंभिक, हिन्दी विद् की पढ़ाई के लिए) माध्यमिक स्तर (प्रदेशिका) की शिक्षा के लिए।
  • विद्यापीठ का अपना पुस्तकालय है जिसमें लगभग 10 हजार किताबें हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2014।

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