झाँसी की रानी -अरुन अनन्त

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झाँसी की रानी -अरुन अनन्त
पूरा नाम अरुन शर्मा अनन्त
जन्म 10 जनवरी, 1984
जन्म भूमि (नई दिल्ली)
मुख्य रचनाएँ सम्पादन- # शब्द व्यंजना (www.shabdvyanjana.com) हिंदी मासिक ई-पत्रिका
# सारांश समय का (80 कविओं की कविताओं का संकलन)
भाषा हिंदी
शिक्षा स्नातक
नागरिकता भारतीय
सम्प्रति- रियल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक
सम्पर्क गुडगाँव हरियाणा फ़ोन-09899797447, ई-मेल- [email protected]
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

झाँसी की रानी आल्हा छंद


 सन पैंतीस नवंबर उन्निस, लिया भदैनी में अवतार,
 आज धन्य हो गई धरा थी, हर्षित था सारा परिवार,
 एक मराठा वीर साहसी, 'मोरोपंत' बने थे तात,
 धर्म परायण महा बुद्धिमति, 'भागीरथी' बनी थीं मात,

 मूल नाम मणिकर्णिका प्यारा, लेकिन 'मनु' पाया लघु-नाम,
 हे भारत की लक्ष्मी दुर्गा, तुमको बारम्बार प्रणाम,
 चार वर्ष की उम्र हुई थी, खो बैठी माता का प्यार,
 शासक बाजीराव मराठा, के पहुँचीं फिर वह दरबार,

अधरों के पट खुले नहीं थे, लूट लिया हर दिल से प्यार ,
 पड़ा पुनः फिर नाम छबीली, बही प्रेम की थी रसधार,
 शाला में पग धरा नहीं था , शास्त्रों का था पाया ज्ञान
 भेद दिया था लक्ष्य असंभव, केवल छूकर तीर कमान,

गंगाधर झाँसी के राजा, वीर मराठा संग विवाह,
 तन-मन पुलकित और प्रफुल्लित,रोम-रोम में था उत्साह,
 शुरू किया अध्याय नया अब, लेकर लक्ष्मीबाई नाम,
 जीत लिया दिल राजमहल का, खुश उनसे थी प्रजा तमाम

 एक पुत्र को जन्म दिया पर, छीन गए उसको यमराज,
 तबियत बिगड़ी गंगाधर की, रानी पर थी टूटी गाज,
 दत्तक बेटा गोद लिया औ, नाम रखा दामोदर राव,
 राजा का देहांत हुआ उफ़, जीवन भर का पाया घाव,

अट्ठारह सौ सत्तावन में , झाँसी की भड़की आवाम,
 सीना धरती का थर्राया, शुरू हुआ भीषण संग्राम,
 काँप उठी अंग्रेजी सेना, रानी की सुनकर ललकार,
 शीश हजारों काट गई वह, जैसे ही लपकी तलवार,

 डगमग डगमग धरती डोली, बिना चले आंधी तूफ़ान,
 जगह जगह लाशें बिखरी थीं, लाल लहू से था मैदान,
 आज वीरता शौर्य देखकर, धन्य हुआ था हिन्दुस्तान,
 समझ गए अंग्रेजी शासक, क्या मुश्किल औ क्या आसान,

 शक्ति-स्वरूपा लक्ष्मी बाई , मानों दुर्गा का अवतार
 आजादी की बलिवेदी पर, वार दिए साँसों के तार
 अमर रहे झांसी की रानी, अमर रहे उनका बलिदान,
 जब तक होंगे चाँद-सितारे, तब तक होगी उनकी शान...

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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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