सुभाष चंद्र बोस के अनमोल वचन

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सुभाष चंद्र बोस के अनमोल वचन

[[चित्र:Subhash-Chandra-Bose-2.jpg|thumb|सुभाष चंद्र बोस]]

  • मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती है तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
  • भक्ति और प्रेम से मनुष्य नि:स्वार्थी बन सकता है। मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती है तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
  • शिक्षित व्यक्ति यदि चरित्रहीन हो, तब क्या उसे विद्वान कहेंगे? कभी नहीं।
  • जिसके पास भगवद्-भक्ति, भगवद्-प्रेम है- वही इस संसार में धनी है। ऐसे व्यक्ति के समक्ष महाराजाधिराज भी दीन भिक्षुक के समान है।
  • जो मनुष्य दूसरों के व्यवहार से ऊबकर क्षण प्रतिक्षण अपने मन बदलते रहते हैं, वे दुर्बल हैं। उनमें आत्मबल नहीं है।
  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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