अमोनिया अवशोषण यंत्र

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:07, 31 May 2018 by यशी चौधरी (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अमोनिया अवशोषण यंत्र एक प्रकार का प्रशीतक (रिफ़िजरेटर) यंत्र है। जो घरों और कारखानों में ठंडक उत्पन्न करने के काम आता है। अवशोषण यंत्रों की उपयोगिता का क्षेत्र बहुत सीमित है लेकिन जब बहुत निम्न ताप अपेक्षित हो तो ऐसे यंत्रों का महत्व अधिक हो जाता है।[1]अमोनिया अवशोषण यंत्र|left|thumb

इस यंत्र की कार्यप्रणाली चित्र द्वारा समझाई गई है। जनित्र (जेनेरेटर) (क) में अमोनिया का सांद्र (कांसेंट्रेटेड) जलीय (ऐकुअस) घोल भरा होता है, और ज्वालक से या भाप की नलियों से इसको गरम किया जाता है। घोल में से अमोनिया गैस निकलकर संघनित्र (ख) में डूबी सर्पिल में से जाती है। (ख) में शीतल पानी निरंतर प्रवाहित होता रहता है। अत: सर्पिल में गैस स्वयं अपनी ही दाब से संघनित हो जाती है। यह द्रव एक सँकरे नियामक (रेगुलेटिंग) वाल्व (च) के मार्ग से शीत संग्रहागार (कोल्ड स्टोरेज) (ग) में रखी सर्पिल में प्रवेश करता है जिसमें निम्न दाब के कारण द्रव वाष्पित हो जाता है। वाल्व (ब) को इस तरह से समायोजित (ऐडजस्ट) किया जाता है कि उसके दोनों सिरों के बीच दाब का अभीष्ट अंतर बना रहे। शीतसंग्रहागार (ग) में से नमक का घोल प्रवाहित होता रहता है, जो सर्पिल में अमोनिया के वाष्पन से शीतल होता जाता है, और फिर कहीं भी जाकर प्रशीतन का काम करता है। सर्पिल (ग) में बनी अमोनिया गौस अवशोषक (घ) में रखे पानी या अमोनिया के तनु (हल्के) घोल द्वारा अवशोषित होती रहती है और इस प्रकार अल्प दाब बना रहता है। (घ) में घोल सांद्र होता जाता है और पंप (ङ) द्वारा जनित्र (क) के ऊपरी भाग में पहुँचाया जाता है। इसके विपरीत जनित्र के पेंदे से तनु घोल अवशेषक (घ) में आता जाता है। इस तरह पूर्ण चक्रीय प्रक्रम (साइक्लिक प्रासेस) से निरंतर प्रशीतन होता रहता है। (नि.सिं.)


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 210 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः