सुचित्रा एल्ला

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thumb|250px|सुचित्रा एल्ला सुचित्रा एल्ला (अंग्रेज़ी: Suchitra Ella) भारत की वैक्सीन निर्माता कम्पनी 'भारतीय बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड' के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला की पत्नी हैं। भारत बायोटेक देश की पहली स्वदेशी कम्पनी है जिसने कोरोना महामारी से निपटने के लिये कोवेक्सीन का निर्माण किया। सुचित्रा एल्ला और कृष्णा एल्ला को भारत सरकार ने पद्म भूषण, 2022 से सम्मानित किया है।

कृष्णा और सुचित्रा एल्ला

भारत बायोटेक देश की इकलौती स्वदेसी वैक्सीन निर्माता है। इस कंपनी के संस्थापक, चेयरमैन और एमडी हैं डॉ. कृष्णा एल्ला और उनकी पत्नी डॉ. सुचित्रा एल्ला। डॉ. एल्ला यीस्ट मॉल्यूकुलर बायोलॉजिस्ट हैं। तमिलनाडु के वेल्लोर जिले से आने वाले डॉ. एल्ला का परिवार खेती करता था। वह रोटरी की फ्रीडम फ्रॉम हंगर फेलोशिप पर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए थे। विस्कॉन्सिन-मेडिसिन विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद एल्ला दक्षिण कैरोलीना की मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। इसके बाद देश लौटकर उन्होंने अपनी पत्नी सुचित्रा एल्ला के साथ मिलकर 1996 में हैदराबाद में 'भारत बायोटेक' की स्थापना की।[1]

वैक्सीन निर्माण

भारत बायोटेक पहली बार तब चर्चा में आई, जब कंपनी ने हेपटाइटिस-बी की वैक्सीन रेवैक-बी लॉन्च की। 1998 में बाजार में आई यह वैक्सीन उस वक्त की मौजूद दूसरी वैक्सीन से करीब 25 फीसदी सस्ती थी। इसके बाद कंपनी ने पोलियो की वैक्सीन बनाई। इन दोनों वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी मंजूरी मिली। कंपनी ने स्वदेसी रूप से रोटावायरस की वैक्सीन बनाई और उसे लॉन्च किया। बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए इस वैक्सीन का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा कंपनी टाइफाइड कंजुगेट वैक्सीन (टीसीवी), जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन, इन्फ्लुएंजा वैक्सीन और फाइव-इन-वन पेंटावैलेंट वैक्सीन भी बना चुकी है।

भारत बायोटेक को सबसे बड़ी सफलता तब मिली, जब कंपनी ने कोरोना की वैक्सीन बनाई। कंपनी के मालिक कृष्णा एल्ला और सुचित्रा एल्ला ने वैक्सीन बनाने के लिए SARS-CoV-2 स्ट्रेन का उपयोग करने के लिए आईसीएमआर के साथ शुरुआती सहयोग किया। भारत बायोटेक ने एक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से वायरस को विकसित और निष्क्रिय करके वैक्सीन बनाने में सफलता पाई। 16 जनवरी, 2021 को जब देश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हुआ तो भारत बायोटेक की कोवेक्सीन भी लोगों को लगाई जानी शुरू हुई।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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