अतिव्याप्ति:

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अतिव्याप्तिः (स्त्रीलिंग) [अति-वि+आप+क्तिन्]

1. किसी नियम या सिद्धांत का अनुचित विस्तार
2. प्रतिज्ञा में अनभिप्रेत वस्तु का मिला लेना
3. लक्षण में लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य अनभिप्रत वस्तु का भी आ जाना, (न्याय में) जिसके फलस्वरूप वह वस्तुएँ भी सम्मिलित हो जाएँ जो लक्षण के अनुसार नहीं आनी चाहिए, लक्षण के तीन दोषों में से एक।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 23 |

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