अभिवाद:
अभिवादः (पुल्लिंग)-वादनम् (नपुं.) [अभि+वद्+घञ्, ल्युट् वा]
- ससम्मान नमस्कार, छोटों के द्वारा बड़ों को प्रणाम, शिष्य के द्वारा गुरु को प्रणाम। इसमें तीन बातें निहित हैं-
- (1) प्रत्युत्थान-अपने स्थान से उठना
- (2) पादोप संग्रहः-पैर पकड़ना या छूना
- (3) अभिवाद- 'प्रणाम' शब्द मुँह से कहना-जिसमें अभिवाद्य व्यक्ति की उपाधि तथा अभिवादक का नाम-वर्ण्य है।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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