अभ्युपेत्य
अभ्युपेत्य (अव्य.) [अभि+उप+इ+ल्यप् (क्त्वा)]
- पहुँच कर, स्वीकार करके, प्रतिज्ञा करके
सम.-अशुश्रूषा-हिन्दूधर्मशास्त्र के 18 अधिकारों में से एक, स्वामी और सेवक के मध्य की हुई संविदा का भंग।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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