अहोम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 04:18, 28 November 2010 by हिना गोस्वामी (talk | contribs) ('अहोम अहोम उत्तरी बर्मा में रहने वाली शान जाति के थे।...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

अहोम

अहोम उत्तरी बर्मा में रहने वाली शान जाति के थे। सुकफ़ के नेतृत्व में उन लोगों ने आसाम के पूर्वोत्तर क्षेत्र पर 1228 ई. में आक्रमण किया और इस पर अधिकार कर लिया। यह वही समय था जब आसाम पर मुसलमानी आक्रमण पश्चिमोत्तर दिशा से हो रहे थे। धीरे-धीरे अहोम लोगों ने आसाम के लखीमपुर, शिवसागर, दारांग, नवगाँव और कामरूप ज़िलों में अपना राज्य स्थापित कर लिया। ग्वालापाड़ा ज़िला जो आसाम का हिस्सा है अथवा कन्धार और सिलहट के ज़िले कभी अहोम राज्य में शामिल नहीं थे। ब्रिटिश शासकों ने 1824 ई. में इस क्षेत्र को जीतने के बाद उसे आसाम में शामिल कर दिया। अहोम लोगों की यह विशेषता थी कि उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर भाग में पठान या मुग़ल आक्रमणकारियों को घुसने नहीं दिया। हालाँकि मुग़लों ने पूरे भारत पर अपना अधिकार जमा लिया था। आसाम में अहोम राज्य छह शताब्दी (1228-1835 ई.) तक क़ायम रहा। इस अवधि में 39 अहोम राजा गद्दी पर बैठे। यहाँ के राजाओं की उपाधि 'स्वर्ग देव' थी। अहोम लोगों का 17वाँ राजा प्रतापसिंह (1603-41) और 29वाँ राजा गदाधर सिंह (1681-83 ई.) बड़ा प्रतापी था। प्रताप सिंह से पहले के अहोम राजा अपना नामकरण अहोम भाषा में करते थे, लेकिन प्रताप सिंह ने संस्कृत नाम अपनाया और उसके बाद के राजा लोग दो नाम रखने लगे-एक अहोम और दूसरा संस्कृत भाषा में। अहोम लोगों का पहले अपना अलग जातीय धर्म था, लेकिन बाद में उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया। वे अपने साथ अपनी भाषा और लिपि भी लाये थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे उन्होंने असमिया लिपि से और लिपि स्वीकार कर ली, जो संस्कृत-बंगला लिपि से मिलती जुलती है। अहोम राजाओं ने आसाम में अच्छा शासन प्रबंध किया। उनका शासन प्रबंध सामन्तवादी ढंग का था और उसमें सामन्तवाद की सभी अच्छाइयाँ और बुराइयाँ थीं। अहोम राजा अपने शासन का पूरा लेखा रखते थे, जिन्हें 'बुरंजी' कहा जाता था। इसके फलस्वरूप अहोम और असमिया दोनों भाषाओं में काफ़ी ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध है। अहोम राजाओं की राजधानी शिवसागर ज़िले में वर्तमान जोरहाट के निकट गढ़गाँव में थी। अन्तिम अहोम राजा जोगेश्वरसिंह अपने वंश के 39वें शासक थे, जिसका आरम्भ सुकफ़ ने 1228 ई. में किया था। जोगेश्वर ने केवल एक वर्ष (1819 ई.) राज्य किया। बर्मी लोगों ने उसकी गद्दी छीन ली, लेकिन आसाम में बर्मी शासन केवल पाँच वर्ष (1819-1824 ई.) रहा और प्रथम आंग्ल-बर्मी युद्ध के बाद यन्दब की सन्धि के अंतर्गत आसाम भारत के ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। 1832 ई. में ब्रिटिश शासकों ने अपने संरक्षण में पुराने अहोम राजवंश के राजकुमार पुरन्दरसिंह को उत्तरी आसाम का राजा बनाया, लेकिन 1838 ई. में कुशासन के आधार पर उसे गद्दी से हटा दिया गया। इसके बाद आसाम में अहोम राज्य पूरी तरह से समाप्त हो गया। अहोम लोग अब आसाम के अन्य निवासियों में घुल मिल गये हैं और उनकी संख्या बहुत कम रह गई है।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः