Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 531"
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+[[मंगल पाण्डे]] | +[[मंगल पाण्डे]] | ||
− | -शिवराम | + | -[[राजगुरु|शिवराम राजगुरु]] |
− | - | + | -[[बाबा हरभजन सिंह]] |
− | - | + | -[[बसंत कुमार दास]] |
+ | ||[[चित्र:Mangal Panday.jpg|right|border|80px|मंगल पांडे]]'मंगल पांडे' का नाम '[[भारतीय स्वाधीनता संग्राम]]' में अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है, जिनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] का शासन बुरी तरह हिल गया था। मंगल पांडे की शहादत ने [[भारत]] में पहली क्रांति के बीज बोए थे। अंग्रेज़ी सेना में नयी एनफ़ील्ड बंदूक भरने के लिये कारतूस को दांतों से काट कर खोलना पड़ता था और उसमे भरे हुए बारूद को बंदूक की नली में भर कर कारतूस में डालना पड़ता था। कारतूस के बाहरी आवरण में चर्बी होती थी, जो कि उसे नमी अर्थात् पानी की सीलन से बचाती थी। सिपाहियों के बीच अफ़वाह फ़ैल चुकी थी कि कारतूस में लगी हुई चर्बी सुअर और [[गाय]] के मांस से बनायी जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मंगल पांडे]] | ||
{[[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु घाटी की सभ्यता]] कहाँ तक विस्तृत थी? | {[[सिंधु घाटी सभ्यता|सिंधु घाटी की सभ्यता]] कहाँ तक विस्तृत थी? | ||
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-[[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[गुजरात]], [[उड़ीसा]], [[बंगाल]] | -[[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[गुजरात]], [[उड़ीसा]], [[बंगाल]] | ||
+[[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]], [[हरियाणा]], [[सिंध]], [[बलूचिस्तान]] | +[[पंजाब]], [[राजस्थान]], [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]], [[हरियाणा]], [[सिंध]], [[बलूचिस्तान]] | ||
+ | ||[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|right|border|80px|सिन्ध में मोहनजोदाड़ो में हड़प्पा संस्कृति के अवशेष]]'सिंधु घाटी सभ्यता' विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह [[हड़प्पा सभ्यता]] और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। आज से लगभग {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1940}} वर्ष पूर्व [[पाकिस्तान]] के पश्चिमी पंजाब प्रांत के माण्टगोमरी ज़िले में स्थित हरियाणा के निवासियों को शायद इस बात का किंचित्मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की ज़मीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों के निर्माण में कर रहे हैं, वह कोई साधारण ईटें नहीं, बल्कि लगभग 5,000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित सभ्यता के [[अवशेष]] हैं। इसका आभास उन्हें तब हुआ जब 1856 ई. में जॉन विलियम ब्रन्टम ने [[कराची]] से [[लाहौर]] तक रेलवे लाइन बिछवाने हेतु ईटों की आपूर्ति हेतु इन खण्डहरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिंधु घाटी सभ्यता]] | ||
{किस [[फ़सल|फ़सल]] का ज्ञान [[वैदिक काल]] के लोगों को नहीं था? | {किस [[फ़सल|फ़सल]] का ज्ञान [[वैदिक काल]] के लोगों को नहीं था? | ||
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-[[चावल]] | -[[चावल]] | ||
+[[तम्बाकू]] | +[[तम्बाकू]] | ||
+ | ||[[चित्र:Tobacc-Plant.jpg|right|border|80px|तम्बाकू]]'तम्बाकू' पौधे की पत्तियों से प्राप्त होता है। यह एक मादक और उत्तेजक पदार्थ है, जो 'निकोशियाना' जाति के पौधे की बारीक कटी हुई पत्तियों, जो कि खाने-पीने तथा सूँघने के काम आती हैं, से प्राप्त किया जाता है। किसी अन्य मादक या उत्तेजक पदार्थ की अपेक्षा [[तम्बाकू]] का प्रयोग आज सबसे अधिक मात्रा में किया जा रहा है। [[भारत]] में तम्बाकू का पौधा [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा सन 1608 ई. में लाया गया था और तब से इसकी खेती का क्षेत्र भारत के लगभग सभी भागों में फैल गया है। भारत विश्व के उत्पादन का लगभग 7.8 प्रतिशत तम्बाकू उत्पन्न करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तम्बाकू]] | ||
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+ | {किस [[जैन]] आचार्य को [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने बहुत सम्मानित किया था? | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -चंद्रप्रभा सूरी | ||
+ | +[[हरिविजय सूरी]] | ||
+ | -[[पुष्पदन्त]] | ||
+ | -यशोभद्र | ||
{[[भक्ति आंदोलन]] को [[दक्षिण भारत]] से लाकर [[उत्तर भारत]] तक प्राचारित करने का श्रेय किसे दिया जाता है? | {[[भक्ति आंदोलन]] को [[दक्षिण भारत]] से लाकर [[उत्तर भारत]] तक प्राचारित करने का श्रेय किसे दिया जाता है? | ||
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-[[शंकराचार्य]] | -[[शंकराचार्य]] | ||
-[[रामानुज]] | -[[रामानुज]] | ||
− | +[[रामानन्द]] | + | +[[स्वामी रामानंद|रामानन्द]] |
-[[कबीर]] | -[[कबीर]] | ||
− | + | ||[[चित्र:Swami-Ramanand.jpg|right|border|80px|स्वामी रामानंद]]'रामानंद' का जन्म 1299 ई. में [[प्रयाग]] में हुआ था। इनके विचारों पर गुरु राघवानंद के [[विशिष्टाद्वैतवाद|विशिष्टाद्वैतमत]] का अधिक प्रभाव पड़ा। अपने मत के प्रचार के लिए इन्होंने [[भारत]] के विभिन्न तीर्थों की यात्रा कीं। तीर्थाटन से लौटने पर अनेक गुरु-भाइयों ने यह कहकर [[स्वामी रामानंद]] के साथ भोजन करने से इंकार कर दिया कि इन्होंने तीर्थाटन में छुआछूत का विचार नहीं किया होगा। इस पर रामानंद ने अपने शिष्यों को नया संप्रदाय चलाने की सलाह दी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी रामानंद]] | |
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Latest revision as of 06:42, 26 February 2020
samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan
- REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
- REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh
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rajyoan ke samany jnan