Difference between revisions of "कोलाबा दुर्ग"

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'''कोलाबा दुर्ग''' [[मुंबई]] के दक्षिण में केवल 40 कि.मी. की दूरी पर अलीबाग़ समुद्र तट के बहुत नजदीक स्थित है। यह एक द्वीपीय दुर्ग है, जहाँ जाने के लिए नाव का प्रयोग किया जाता है। किंतु भाटे के समय इसके मुख्य द्धार तक पैदल भी पहुँचा जा सकता है। एक समय कोलाबा दुर्ग एक छोटी सैनिक चौकी हुआ करता था, किंतु [[छत्रपति शिवाजी]] के समय इसका व्यापक रूपांतरण, नवीनीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया।
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[[चित्र:Kolaba-Fort-Alibag.jpg|thumb|250px|कोलाबा दुर्ग, [[मुंबई]]]]
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'''कोलाबा दुर्ग''' [[मुंबई]] के दक्षिण में केवल 40 किमी की दूरी पर अलीबाग़ समुद्र तट के बहुत नजदीक स्थित है। यह एक द्वीपीय दुर्ग है, जहाँ जाने के लिए नाव का प्रयोग किया जाता है। किंतु भाटे के समय इसके मुख्य द्धार तक पैदल भी पहुँचा जा सकता है। एक समय कोलाबा दुर्ग एक छोटी सैनिक चौकी हुआ करता था, किंतु [[छत्रपति शिवाजी]] के समय इसका व्यापक रूपांतरण, नवीनीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया।
 
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==इतिहास==
 
==इतिहास==
इस दुर्ग का [[इतिहास]] [[मराठा]] नौसेना से जुड़ा हुआ है। मराठों के महान 'सरखेल' या 'एडमिरल' कान्होजी आंग्रे के प्रयासों से मराठा नौसेना शक्ति अपने शौर्य के शिखर पर पहुँच गई थी। कोलाबा दुर्ग पर अधिकार जमाने के उदेश्य से [[जंजीरा क़िला|जंजीरा]] के सिद्धियों और [[पुर्तग़ाल]] के सैन्य बल ने भी अभियान चलाया, परन्तु हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी। कान्होजी आंग्रे और उनके उत्तराधिकारी सर्फोजी के बाद दो आंग्रे बंधुओं मानाजी और संभाजी की आपसी कलह में [[पेशवा]] को हस्तक्षेप करना पड़ा। दो भाइयों में<ref>दो भागों में विभाजित आंग्रे वर्चस्व में</ref> मानाजी को कोलाबा और उत्तरी क्षेत्र मिला। पेशवा ने सदैव ही मानाजी का पक्ष लिया और इसके परिणामस्वरूप विजयदुर्ग में संभाजी के उत्तराधिकारी तुलाजी के नौसैनिक बेड़े के पतन के उपरांत ही कोलाबा दुर्ग का महत्व भी तेजी से गिर गया।
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इस दुर्ग का [[इतिहास]] [[मराठा]] नौसेना से जुड़ा हुआ है। मराठों के महान 'सरखेल' या 'एडमिरल' कान्होजी आंग्रे के प्रयासों से मराठा नौसेना शक्ति अपने शौर्य के शिखर पर पहुँच गई थी। कोलाबा दुर्ग पर अधिकार जमाने के उदेश्य से [[जंजीरा क़िला|जंजीरा]] के सिद्धियों और [[पुर्तग़ाल]] के सैन्य बल ने भी अभियान चलाया, परन्तु हर बार उन्हें असफलता ही हाथ लगी। कान्होजी आंग्रे और उनके उत्तराधिकारी सर्फोजी के बाद दो आंग्रे बंधुओं मानाजी और संभाजी की आपसी कलह में [[पेशवा]] को हस्तक्षेप करना पड़ा। दो भाइयों में<ref>दो भागों में विभाजित आंग्रे वर्चस्व में</ref> मानाजी को कोलाबा और उत्तरी क्षेत्र मिला। [[चित्र:Kolaba-Fort-Alibag-1.jpg|thumb|250px|left|कोलाबा दुर्ग, [[मुंबई]]]] पेशवा ने सदैव ही मानाजी का पक्ष लिया और इसके परिणामस्वरूप विजयदुर्ग में संभाजी के उत्तराधिकारी तुलाजी के नौसैनिक बेड़े के पतन के उपरांत ही कोलाबा दुर्ग का महत्व भी तेजी से गिर गया।
 
====दुर्ग संरचना====
 
====दुर्ग संरचना====
 
कोलाबा काफ़ी बडा दुर्ग था, जिसके जलाशय तथा देवालय अब भी मौजूद हैं, किंतु इसका प्राचीन भवन एक अर्सा पहले नष्ट हो गया। इसके ऊँचे परकोटे और 17 बुर्ज अभी भी बने हुए हैं। दुर्ग के मुख्य द्धार पूर्व की ओर हैं तथा इस पर खुदी पशु-पक्षियों की आकृतियाँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के [[अंग्रेज़]] फ़ोर्व्स ने उन भवनों का वर्णन किया है, जिन्हें उन्होंने अपनी 1759 की यात्रा के दौरान देखा था। जिसमें एक महल, कोषालय, उद्यान और [[अफ़ग़ानिस्तान]] के अफ़ग़ानी घोडों के अस्तबल भी थे, जो 1753, 1756, 1757 और 1771 में हुए अग्निकांडों में नष्ट हो गए। 1771 की [[आग]] सर्वाधिक प्रंचड थी और उसमें अंधिकांश भवन जलकर राख हो गए थे। जो कुछ शेष बचा था, उसे बाद में अंग्रेज़ों ने नष्ट कर दिया। एक छोटा गढ़, जो मुख्य द्धार से अधिक दूर नही है, कोलाबा का 18वाँ बुर्ज कहलाता है।
 
कोलाबा काफ़ी बडा दुर्ग था, जिसके जलाशय तथा देवालय अब भी मौजूद हैं, किंतु इसका प्राचीन भवन एक अर्सा पहले नष्ट हो गया। इसके ऊँचे परकोटे और 17 बुर्ज अभी भी बने हुए हैं। दुर्ग के मुख्य द्धार पूर्व की ओर हैं तथा इस पर खुदी पशु-पक्षियों की आकृतियाँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के [[अंग्रेज़]] फ़ोर्व्स ने उन भवनों का वर्णन किया है, जिन्हें उन्होंने अपनी 1759 की यात्रा के दौरान देखा था। जिसमें एक महल, कोषालय, उद्यान और [[अफ़ग़ानिस्तान]] के अफ़ग़ानी घोडों के अस्तबल भी थे, जो 1753, 1756, 1757 और 1771 में हुए अग्निकांडों में नष्ट हो गए। 1771 की [[आग]] सर्वाधिक प्रंचड थी और उसमें अंधिकांश भवन जलकर राख हो गए थे। जो कुछ शेष बचा था, उसे बाद में अंग्रेज़ों ने नष्ट कर दिया। एक छोटा गढ़, जो मुख्य द्धार से अधिक दूर नही है, कोलाबा का 18वाँ बुर्ज कहलाता है।

Revision as of 09:01, 29 September 2012

[[chitr:Kolaba-Fort-Alibag.jpg|thumb|250px|kolaba durg, muanbee]] kolaba durg muanbee ke dakshin mean keval 40 kimi ki doori par alibag samudr tat ke bahut najadik sthit hai. yah ek dvipiy durg hai, jahaan jane ke lie nav ka prayog kiya jata hai. kiantu bhate ke samay isake mukhy ddhar tak paidal bhi pahuancha ja sakata hai. ek samay kolaba durg ek chhoti sainik chauki hua karata tha, kiantu chhatrapati shivaji ke samay isaka vyapak roopaantaran, navinikaran v sudridhikaran kiya gaya.

itihas

is durg ka itihas maratha nausena se ju da hua hai. marathoan ke mahan 'sarakhel' ya 'edamiral' kanhoji aangre ke prayasoan se maratha nausena shakti apane shaury ke shikhar par pahuanch gee thi. kolaba durg par adhikar jamane ke udeshy se janjira ke siddhiyoan aur purtagal ke sainy bal ne bhi abhiyan chalaya, parantu har bar unhean asaphalata hi hath lagi. kanhoji aangre aur unake uttaradhikari sarphoji ke bad do aangre bandhuoan manaji aur sanbhaji ki apasi kalah mean peshava ko hastakshep karana p da. do bhaiyoan mean[1] manaji ko kolaba aur uttari kshetr mila. [[chitr:Kolaba-Fort-Alibag-1.jpg|thumb|250px|left|kolaba durg, muanbee]] peshava ne sadaiv hi manaji ka paksh liya aur isake parinamasvaroop vijayadurg mean sanbhaji ke uttaradhikari tulaji ke nausainik be de ke patan ke uparaant hi kolaba durg ka mahatv bhi teji se gir gaya.

durg sanrachana

kolaba kafi bada durg tha, jisake jalashay tatha devalay ab bhi maujood haian, kiantu isaka prachin bhavan ek arsa pahale nasht ho gaya. isake ooanche parakote aur 17 burj abhi bhi bane hue haian. durg ke mukhy ddhar poorv ki or haian tatha is par khudi pashu-pakshiyoan ki akritiyaan spasht dikhaee deti haian. eest iandiya kanpani ke aangrez forvs ne un bhavanoan ka varnan kiya hai, jinhean unhoanne apani 1759 ki yatra ke dauran dekha tha. jisamean ek mahal, koshalay, udyan aur afaganistan ke afagani ghodoan ke astabal bhi the, jo 1753, 1756, 1757 aur 1771 mean hue agnikaandoan mean nasht ho ge. 1771 ki ag sarvadhik pranchad thi aur usamean aandhikaansh bhavan jalakar rakh ho ge the. jo kuchh shesh bacha tha, use bad mean aangrezoan ne nasht kar diya. ek chhota gadh, jo mukhy ddhar se adhik door nahi hai, kolaba ka 18vaan burj kahalata hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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tika tippani aur sandarbh

  1. do bhagoan mean vibhajit aangre varchasv mean

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

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